Upasna Gour   (Upasna..✍️)
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Joined 5 September 2018


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11 FEB AT 8:08

हम ठहरे...! ग़र देख हमें जी उठते हो तुम
वरना सब बेफिजूल है.....चलते हैं हम

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11 FEB AT 7:49

बेहतर था तुम ना मिले
वरना हम खुशी से मर जाते

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7 FEB AT 15:47

तुम्हें देख कर मेरी आँखों के नजारे बदल जाते हैं
तुमसे मिलकर ना जाने हम कब होश में आयेंगे

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7 FEB AT 15:43

मैंने तुम्हें परतों में याद किया है
शर्तों पे भुलाना मुश्किल होगा
..

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12 JAN AT 10:22

मैं अगर झूठ लिखूं तो तुम्हें भुला दिया कब का
मैं ग़र सच लिखूं तो बस तुम्हें भूल नहीं सकते

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10 JAN AT 13:46

नाम चाहो तो शाकि रख दो या फिर चाहो काजी रख दो
इबादत में सर सदियों से झुका है
तुम चाहो तो मुझे इश्क में मीरा लिख दो

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8 JAN AT 6:27

तुम आओ तो चांद सूरज सब आते हैं
मेरे आँगन में
तुम जाओ तो साँसों का
इख्तियार तक चला जाता है

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7 JAN AT 10:27

गर्दिश के सितारे भी सारे ताक में थे उसके
वो जो आया नहीं अभी तक
वो जो आने वाला था

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6 JAN AT 6:25

तुम आना तो बहारें अपने साथ लेकर आना
मेरे दहलीज से सावन मैंने कई बार लौटाया है

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2 JAN AT 7:13

मैं इस साल किस
रास्ते को चुनू




कि मुझे दोपहर तक तुम
मिल जाओगे

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