प्रीत के बदले प्रीत सरल है,पूजा की धारणा कठिन थी
प्रेम सरल था राधा का,मीरा की साधना कठिन थी
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मैं लिखती हूँ तुम पढ़ लेना, गर मुझे समझना चाहो ... read more
जिंदगी के खतम कुछ तराने हुए
जितने किस्से लिखे थे पुराने हुए
क्या कहूँ की कलम क्यों है थम सी गयी
उसको देखें भी कितने जमाने हुए-
खग मृग से पूछा बिलख बिलख,
अश्रु से निकले सिया नाम।
जग ने परखा बस पत्नि त्याग,
हार गया एक प्रेमी राम।
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मैं अविरल कल कल बहती हूँ,वो शांत चित्त एक योगी सा|
मैं सांसारिक सी लड़की हूँ,वो शंभुभक्त एक जोगी सा|
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रास्ता ना रहा सो सबर में कटी
जिंदगी जैसे उसके असर में कटी
उसके सायें में उसके शहर में रहे
एक उमर उलझनों के भँवर में कटी
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सूरज तड़पाता हैं
फिर ढलती हैं शामें
रोशन रातें करने
तारे बन जायेंगे
हम फिर मिल जायेंगे
निर्जन होगा जंगल
सुखा होगा उपवन
पतझड़ के मौसम में
सावन बरसायेंगे
हम फिर मिल जायेंगे-
कोई रुकी-थकी सी लहर सही,
हूँ तिमिर भरा एक पहर सही
एक वाणी जिसमें रोष नहीं,
मैं अब खुद में शेष नहीं
इस खेद भरे परिवर्तन में
हूँ खग सा निरंतर चिंतन में
हैं उड़ने का आवेश नहीं
मैं अब खुद में शेष नहीं।
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तू मुझको सोचे,लिखे मुझे कब मै ये मशक्कत चाहती थी ।
कब मैंने तुझसे खत माँगा,कब मैं ये मोहब्बत चाहती थी।
रूठूं मैं मुझे मनाये तू,कब मैं ये नजाकत चाहती थी
कब चाहा तेरा ईश्क बनू,कब तेरी नफरत चाहती थी
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सवेरा हुआ तू किसी के लिए,मैं तपती दुपहरी पिघलती रही
तू सूरज हुआ तो मुझे क्या भला,धूप में तेरी मैं जलती रही
तेरे ही निशानों पे चलती रही,धूप में तेरी मैं जलती रही-
जब कहर बने श्रृंगार गिरे
खल, दानव, शोणित, भाल गिरे।
जब नारी शक्ति जागे हैं
नतमस्तक हो संसार गिरे।-