मैं अपने खयालों के पास खड़ा था
एकसाथ उनमें अपनी नींदों को देख रहा था
ढूंढ रहा था खुदको बड़ी देर से उसमें..,,
मैं जान न पाया,, क्या खुद के साथ कर रहा था..!
अब सारे काम तुझसे ही शुरू करता हूं मैं...,,
मैं जनता नहीं मगर मैं रोज क्या कर रहा था..!
कुछ लोगों को छोड़ दिया है अब तक मैने..,,
या शायद खुद को पकड़ के खुद ही चल रहा था..!
किनारा पास था मगर किनारे पे जाना नहीं मुझे..,,
खयालों के समंदर में तेरी यादों के संग चल रहा था...!
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N'aimez jamais personne,,,,parce que tout le monde ... read more
खुबरू हो तुम ज़िस्ट भी तुम हो...
बेख़बर हम नहीं तभी तेरी जफ़ा को सहते हैं...
ग़लती से ग़लत बोल ना बोल दूँ तुम्हे..
इस्लिये होंट डरे डरे से रहते हैं...♥️♥️-
फ़कत क्या लिखु तुझपे ये मसला नहीं....
तुझपे लिखा हर शब्द तेरी तोहिन लगता है...❤️-
जब सताते हैं दुनिया के ताने तुझे...
खुद को मेरी नज़र से तू देखा कर..तुझे अच्छा लगेगा...❤️-
ध्यान लगता नहीं मेरा कहीं..शायद उसपे नज़र रहती है..
हुस्न-ए-रुखसार इश्क ही है.. इस लिए उसकी कदर रहती है...
फिर भी गिला है उसे या समझ नहीं पाया मैं...
शायद वाकिफ़ है वो मुझसे..शायद वो बेखबर रहती है...❤️-
उम्मीदे तरस गई थी तेरी गिरफ में आने को ..
ये दिल है मेरा कि अब बिछड़ना नहीं चाहता...
तमाम उमर गुजारूंगा तेरे साथ ही...
अटल हूं इन शब्दों से कभी मुकरना नहीं चाहता...
मिज़ाज-ए-गुस्सा मयास्सर रहता है तेरे चेहरे पे तो अच्छा लगता है अब मुझे..
तेरे इस किरदार से अब मैं डरना नहीं चाहता...
तुम रहोगी साथ मेरे तो सबको दिखाऊंगा इश्क मेरा...
बिगड़ना चाहता हूं तेरे प्यार में इतना के फिर सुधरना नहीं चाहता..
रुखसार को देखता हूं जब तो तिल पर ध्यान जाता है..
जब मिलु तो छुलूंगा कभी..ये इरादा मैं अपना बदलना नहीं चाहता...
तेरी साहिर आँखों में पाई है मंजिल मैंने...
देख के तुम्हें उड़ना चाहता हूँ बस अब गिरना नहीं चाहता...❤️-
आज लिख नहीं रहा..सच बता रहा हूं ...
अपने फोन से अपनी जिंदगी से तेरी यादें तेरी बातें हटा रहा हूं.....
बहुत गलत किरदार रहा होगा तेरे सामने मेरा....
तुझसे कोई शिकायत न रखना अब खुद को सिखा रहा हुं...❤️❤️-
Yes i made a mistake that...
I became addicted to her, without knowing whether she was also addicted to me or not....💔-
मौत आगे कुछ किया नहीं जाता...
उम्र से ज़्यादा जिया नहीं जाता ...
अपनी जूठी चाय मत पिलाना..
ज़्यादा मीठा पिया नहीं जाता...!!!❤️-
सूरज सी रोशन लगने लगी हो..शायद तुम भी अब ढलने लगी हो..
लहजा बंता जा रहा है बाकी दुनिया जैसा...क्या सच है तुम अब बदलने लगी हो..?
तुम सही थी नासमझ था मैं जो तुम्हें खुद के बारे में समझा ना पाया...
खुद की इज्जत कभी मुझसे हो ना सकी..तुमने जाने को कहा और मैं दूर जा ना पाया...!❤️-