हमारी खुशी में हमसे ज्यादा खुश वह होती है,
हमें दुखी देख हमसे ज्यादा फिक्र उसे सताती है...
हमें हंसता देख उसके चेहरे पर भी हंसी छा जाती है,
हमें रोता देख आंखें उसकी भी नम हो जाती है..
हमारी छोटी मोटी हर एक सफलता के पीछे हमसे ज्यादा मेहनत उस्की होती है,
और मिली हुई हर एक सफलता के वक्त हमसे ज्यादा उसकी आंखों में चमक दिखाई देती है...
बीमार हो तो हमारी डॉक्टर बन जाती है,
कभी मास्टर शेफ तो कभी हमारी टीचर बन जाती है,
पता नहीं ऐसा कौन सा रिसीवर है उसके पास, जो हमारे मन को आंखों से ही पढ़ लेती है,
हमारी खामोशी से ही हमें क्या चाहिए वो जान लेती है...
उसकी गोद में सर रखने से परेशानियां मानो दूर सी हो जाती है...
जब वह अपने हाथों से हमे सहलाती है खुदा कसम सुकून की नींद आती है...
वह "मां" ही है जो हमारी ज़िद्द, गुस्सा, नादानियां,
सब कुछ सहने के बाद भी इतना प्यार जताती है...
-