तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था?
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था?
वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,
ये काम किसने किया है, ये काम किसका था?
वफ़ा करेंगे, निभाएँगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था?
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मुक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था?
न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत,
तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किसका था?
हमारे ख़त के तो पुर्जे किए, पढ़ा भी नहीं,
सुना जो तूने ब-दिल, वो पयाम किसका था?
उठाई क्यूँ न क़यामत अदू के कूचे में,
लिहाज़ आपको वक़्त-ए-ख़िराम किसका था?
गुज़र गया वो ज़माना, कहूँ तो किससे कहूँ?
ख़याल दिल को मिरे सुब्ह ओ शाम किसका था?
इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर,
जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किसका था?
हर इक से कहते हैं, क्या ''राज" बेवफ़ा निकला,
ये पूछे उनसे कोई, वो गुलाम किसका था?
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