Unknown .......   (Heartless)
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Joined 4 March 2019


Joined 4 March 2019
6 NOV 2022 AT 18:08

उसे समझाना नहीं पड़ता था हाल अपना
वो खामोशी से दिल का हाल समझ लेती थी

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4 NOV 2021 AT 15:44

उसे पटाखो से डर लगता है ,
इस दिवाली फुलझरी ही लाऊँगा l

उसे पसंद नहीं ये बल्ब सब ,
इस दिवाली घर दियो से सजाऊँगा l

उसे पसंद नहीं तोहफे महंगे ,
उसे चाँदी की ही अंगूठी दिलाऊँगा l

रंग तो उस पर सारे ही जचते है ,
पर मै उसे साड़ी नीला दिलाऊँगा l

उसे अगर तोहफे पसंद नहीं आये ,
एक चुटकी सिंदूर ही भर आऊँगा l

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4 OCT 2021 AT 23:02

Yun WhatsApp crash rhe
Dilasa toh rhega tmne message kiya hoga

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9 SEP 2021 AT 14:00

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था?
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था?

वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,
ये काम किसने किया है, ये काम किसका था?

वफ़ा करेंगे, निभाएँगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था?

रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मुक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था?

न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत,
तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किसका था?

हमारे ख़त के तो पुर्जे किए, पढ़ा भी नहीं,
सुना जो तूने ब-दिल, वो पयाम किसका था?

उठाई क्यूँ न क़यामत अदू के कूचे में,
लिहाज़ आपको वक़्त-ए-ख़िराम किसका था?

गुज़र गया वो ज़माना, कहूँ तो किससे कहूँ?
ख़याल दिल को मिरे सुब्ह ओ शाम किसका था?

इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर,
जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किसका था?

हर इक से कहते हैं, क्या ''राज" बेवफ़ा निकला,
ये पूछे उनसे कोई, वो गुलाम किसका था?

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5 AUG 2021 AT 11:16

मेरे ख्यालो में हरदम
क्यों मुस्कुराती हो तुम ,
अहद- ए वफ़ा के किस्से
क्यों दुनिया को बताती हो तुम l
हक़ीक़त में सामने आती नहीं
क्यों तस्सवुर में आकर मुझे तड़पाती हो तुम ,
दिल -ए नाशाद जानती नहीं जब
क्यों वाण अपने ज़हरीले बातो का चलाती हो तुम l
कसूरवार -ए दर्द है जब तेरे हम
क्यों मुझे सजा -ए मौत सुनlती नहीं तुम ,
मुलाज़िम- ए इश्क़ बना रखा है न जाने कबसे
क्यों बाद -ए आज़ादी चलlती नहीं तुम l

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12 JUL 2021 AT 16:07

पुराने
अल्फाज़ो में
दोहराता हूँ
तेरी तारीफ नई
मै रेशम का
कीड़ा कोई
तू उससे निकला
पाट लगे
मै रोज़ देखने
आता हूँ
शाम बनारस की
तू मुझे
गंगा आरती
घाट लगे

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6 JUL 2021 AT 11:41

तुम मानो या ना मानो
मैंने प्यार किया है ,
बस तुमसे
इन्तेहा की हद से ज्यादा
बेइंतेहा की है

मैंने किया है सजदा तुम्हारा
सबसे ज्यादा
हद से ज्यादा
रब से ज्यादा

और किया है इंतजार तम्हारा
वक़्त भूल
बसंत से लेकर पतझड़ तक
हर मौसम
हर पल
अपनी हर सांस के साथ

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4 OCT 2019 AT 17:35

जिस्म उसका भी मिट्टी का है मेरी तरह....!
" ए खुदा "फिर क्यू सिर्फ मेरा ही दिल तड़ पता है उस के लिये...!"1

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29 SEP 2019 AT 12:17

उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए ,..
.अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे .

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24 SEP 2019 AT 13:32

जमीनी फैसले को आसमानो से नही करते
मोहब्बत अपने से उंचे घरानो मे नही करते

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