शहर शहर की इस दौड़ में,
ये जिंदगी सूकुन खो रही है...
देखा है उदास पहले भी इसको,
पर अब ये कुछ और हो रही है...-
I’m just limited edition...🙃
And Tea Lover 😋☕
ये आम सी शाम, आज खास क्यूं है !
तू है नहीं पास, फिर तेरा एहसास क्यूं है !
क्यूं है, ये क़ल्ब में शोर इतना...
है हक़ीक़त का फ़हम इसको फिर,
हो ना रहा एहसास क्यूं है !-
ये गम छुपाने को,
मुस्कुराने का ख़्याल अच्छा है...
उन्हेें भी थी मोहब्बत ।
या, थी मोहब्बत उन्हें !!
अब खुद से, यह सवाल अच्छा है...-
किसी रोज़ हो ज़ियारत उनके,
था तब बस इतना सा खयाल मेरा...
मिले जो, तो पूछना ज़रूर शफ़ीक़,
कि... थी मोहब्बत सच में, या यूं ही...!!
है अब बस इतना सा सवाल मेरा...-
तेहखाने सी इस जिंदगी में,
रोशनी भी अब छन कर आती है...
अंधकार ने कुछ यूँ जकड़ा है,
उम्मीद भी यहां शिकस्त खाती है...-
तेरे किस्सों में घिरी, ये शाम क्यूँ है...!!
इस क़ल्ब में बस तेरा ही नाम, क्यूँ है...!!
तुझ तक रही ना रसाई मेरी,
फिर ये सीरत मेरी, बदनाम क्यूँ है....!!-
यूं तो एक मुसाबक़त सी है,
जमाने में कमाने की...
पर, सच यह भी है कि...
पैसों से, खुशियां मिलती कहां...!!-
मेरे तन्हाई के पर्दों पर, ये ज़ुल्मत किसने उड़ेला है...
तुम तो जा चुकी हो, फिर ये खेल किसने खेला है...!!-