ऐ जिंदगी क्या जरूरी है कि...
तेरा हर खेल मेरे साथ ही खेला जाए,
मुझे तोड़कर जोड़कर फिर से और तोड़ा जाए,
मुझे ही हर बार समझाया जाए,
मुझे ही हर बार अकेला छोड़ मुँह फेरा जाए,
हर बार मेरी ही ख़्वाहिशो को छोड़ा जाए,
मुझे ही बुरी तरह तोड़ दिया जाए,
हर बार मुझे ही सज़ा दी जाए,
मुझे ही हर रात भिगती आँखों से सुलाया जाए,
अगर ऐसा ही है तो मत होने देगा आज रात की सुबह,
अगर ऐसा ही है बोल दें कि इतनी ही बुरी हूँ, बहुत बुरी हूंँ मैं,
किसी के साथ के काबिल नहीं हूँ मैं।
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