Umesh Singh   (Umesh Singh)
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ख़ामोशियाँ अल्फ़ाज़ है...तुम सुनने तो आओ कभी।
Joined 6 April 2018


ख़ामोशियाँ अल्फ़ाज़ है...तुम सुनने तो आओ कभी।
Joined 6 April 2018
7 JAN 2020 AT 0:39

गीले तकिये पर सोना मुश्किल काम है,
और ये आंशू नहीं है इश्क़ का इनाम है,
मेरे सुकून के दावेदार बने फिरते थे तो सुनलो,
अब पहले जैसा नहीं हूँ बहुत आराम है !!!

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1 JAN 2019 AT 20:58

औरत प्रेम की चाह में देह समर्पित करती है,.......।
और पुरूष देह की चाह में प्रेम प्रदर्शित करता है.......

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22 MAY 2018 AT 10:02

तुम जो लगे हो गिराने में मुझे, तुम सोचोगे भी नहीं कि मैं जो गिरा तो मुद्दा बनकर खड़ा हो जाऊंगा !
मुझको चलने दो, दौड़ने दो, अभी अकेला हूँ अकेला है मेरा सफर,
अगर रास्ता रोका गया तो काफ़िला हो जाऊंगा !

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13 MAY 2018 AT 12:30

अरे माँ के उस मातृत्व का कर्ज
क्या कभी एक दिन में उतर सकता है क्या??
जिसने हमको इस दुनिया
मे न केवल प्रकट किया बल्कि
एक पहचान दी,माँ तो जन्म
जन्मान्तरों तक पूजने वाली
वो देवी है जिसके कर्ज का
प्रतिफल शायद कई जन्मो
तक नही उतारा जा सकता.

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12 MAY 2018 AT 14:43

सिंगलत्व एक चुनौती है। स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी। देखो और सुधार करो,
Still Single

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12 MAY 2018 AT 9:27

अक्सर माँ को भी लगानी पड़ जाती है डांट
जब नहीं रखती वो अपनी सेहत का ध्यान !

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9 MAY 2018 AT 20:16

द्वन्द कहा तक पाला जाये
युध्द कहा तक टाला जाये...

हम वंशज महाराणा के
फेंकेंगे भाला जहाँ तक जाये।

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5 MAY 2018 AT 12:27

तुम खर्चते रहो
अपनी सारी कमाई
वो सौंपती रहे
तुम्हे जिस्म अपना
आधुनिक और बड़े शहरों में
इश्क इसी का नाम है !!!!

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4 MAY 2018 AT 22:36

खुद बदलकर औरो पर बदलने का इल्जाम लगाते हैं,
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनपर हम अफ़सोस जताते हैं !

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4 MAY 2018 AT 20:25

एक जमाना था जब मोहब्बत नाम की चीज होती थी
अब जमाना है मोहब्बत के नाम पे हवस मिटाई जा रही है

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