लिख रहा हूं कुछ ऐसा कि तेरे पास हो जाऊं
कहानी के हर हिस्से में, मैं तेरे साथ हो जाऊं
यमुना सा तन्हा ही बहता हूं मैं तो सदियों से
गंगा सा तू आकर मिल,मैं संगमघाट हो जाऊं
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दो किरदारों का दर्द कागज़ पर खामोशी से रिसता रहा
कुछ इस तरह एक गीत खुद को ताउम्र से लिखता रहा
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छू कर सांसो को मेरी, तुमने इक ऐसा काम किया
बेरंग बेनाम प्रणय को तुमने राधा-मोहन नाम दिया
मन फीकी बन्धेज सी चुनर, प्रेम तुम्हारा रंगरेज बना
रंग मुझको राधा दिवानी,खुद को तुमने श्याम किया-
ना जाने किस होली पर जागेंगे भाग गुलाल के
इन हाथो से होकर कब उतरेंगे गोरी के गाल पे
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बिना दिखाये दिख रहा है जो और कुछ नहीं बस तेरा गम है
बहुत मुश्किल से छुपा लेता हूँ पलको को पर आवाज नम है
पूछती है ये दुनिया अक्सर मुझसे कि मैं कुछ क्यों नहीं करता
कैसे बतायें इनको बस जी रहे हैं तेरे बगैर ये भी क्या कम है
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दो किरदारों की कहानी कुछ इस तरह बिछड़ रही है...
जैसे दुल्हन के हाथों की मेहंदी सुखने से पहले झड़ रही है...-
जो बिन खोले ही रह गये उन खतो की कहानी है हम
जो बिन बोले ही रह गये उन्ही गीतो की रवानी है हम
एक सतरंगी संसार को सजना था हमारी इन आंखो मे
जो बिन घोले ही बह गये उन सपनो की निशानी है हम
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अधरो को पीर छुपानी है, अधरो को कहना भी है
आंखो की अपनी मजबुरी, सपनो को बहना भी है
कभी रास ना आया था दुनियां को साथ तेरा-मेरा
गीतो मे वही एक किस्सा सबको सुनते रहना भी है
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ना जाने कितने शहर बदले, घर बदले पर तेरा दर नही आता
तेरी याद का गाँव साथ लिए मैं,खुद को खुद नज़र नही आता
दुआएं, प्रार्थना, मंत्र, ताबीज़ सारे बेअसर हो गये अब शायद
तुमसे बिछड़ने के बाद भी तुमसे बिछड़ने का डर नही जाता
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बड़ा खुद्दार है यार मेरा,उसे शौहरत मंजूर नहीं
वो किरदार लिखता रहा मेरा, कहानी बदलकर
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