Umange   (उमंग 🖋)
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Joined 15 October 2018


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Joined 15 October 2018
27 MAY AT 20:09

कुछ ख़्वाब देखें थे,
उन ख्वाबो को भुलाने को दिल करता है
ये शहर छोड़
पहाड़ों मे बस जाने को दिल करता है...
चार कदम चल न सके
उम्र भर साथ निभाने वाले
तू बेवफ़ा हो गई तो क्या
तू न सही तेरी यादों के साथ जिंदगी बिताने को.....!!

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20 MAY AT 12:48

तुझसे ही तो झगड़ना है
और तुझे ही फिर मनाना है
इस ज़ालिम दुनिया मे जिंदगी का
एक तू ही तो बहाना है...
एक तुझे जो पा लिया
फिर और क्या ही पाना है?
लेकिन यह भी तो सच है जाना
मेरे सारे ग़मो का बस
एक तू ही तो ठिकाना है...
सफर ए मोहब्बत आसान कहाँ
रिश्ता एक और मिलकर दोनों को निभाना है
सालों पहले सुन चुके है यह वक़्त की बातें
छोटा बच्चा भी बता दे साहब ये तो बहाना है....
अटूट चाहत थी तुझे कभी पाने की
अब सोचता हूँ कल खुद को भी मुह दिखाना है
और खत्म हो गयी इस जहाँ मे तलाश सारी
अब बस खुद को खुद से मिलाना है...

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5 APR AT 13:11

जीत कर भी मैं जीत न सका
तुम हार कर भी कभी न हारी

ये हिसाब ए इश्क़ है जनाब चित भी तेरी और पट भी तेरी

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3 APR AT 18:21

अजीब दास्तां है ये ज़िन्दगी ,

के

ज़िंदा रहना भी है तो उस शख्श के लिए जिसकी बेरुखी हर पल मौत सा एहसास करवाती हैं ...

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25 MAR AT 1:43

बार-बार पलकों को अपनी झुकाए कौन,
उदासी भरे चेहरे से मुस्कुराए कौन...

बिस्तर, गादी, तकिये, रज़ाई सभी के सभी बेशकीमती हैं,
बस सुकून से इन आँखों को मूंदने की क़ीमत चुकाए कौन ...

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22 MAR AT 14:51

बस वही हादसा और एक बार हो जाए
हमने कब चाहा के तू भी मेरा तलबगार हो जाए
दुनिया कि चाहत किसे रह गई अब
बस मौत से पहले तुझ पर मेरा कुछ तुझ पर उधार हो जाए
मुस्कुरा कर देख लिया कर पलकें भर उठा कर एक बार
कौन चाहता है के तुझे भी हम से, हम ही सा,प्यार हो जाए
बस यही एक चाह दबी हुई है दिल में
हर सुबह आँख खुले और इन आँखों को (तेरा) दीदार हो जाए

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21 MAR AT 13:26

यादे तुम्हारी मुझे अक्सर सोने नही देती,
लाख चाह लूँ किसी और का मुझे होने नही देती ।
अंदर सैलाब भरा है आँसुओ का, पर चाह कर भी वो सैलाब दिखाउ कैसे इस दुनिया को
अरे तू तो दूर हो गई लेकिन हर कदम साया बन कर साथ रहने वाली, माँ मुझे दुनिया के सामने कभी रोने नही देती।।

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15 MAR AT 9:31

कहानियाँ लिखता हूँ

कविताए भी और कभी कभी इतिहास लिखता हूँ मैं

कभी आम तो कभी कुछ खास लिखता हूँ

मैं तो सीधा साधा कबाड़ी हूँ साहब

आप ही से मिली जज़्बातों की दवात मे...

अपने दिल की कलम भिगो कर

आप हीे के लिए चंद अल्फाज़ लिखता हूँ मैं...

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15 MAR AT 0:28

जलते हुए चरागों को


अब हमने बुझाना छोड़ दिया हैं...


नींद आ जाया करती है इंतज़ार में तुम्हारे


हमने सोते हुए हम को जगाना छोड़ दिया है...


अक्सर मिलने वाले बताया करते है, के


तुम्हारी यादें उसे इंदौर आने नहीं देती...


अरे कोई जाए, जाकर बताएं उसे


के यादों से बचते बचते तेरी उमंग ने ज़माना छोड़ दिया है





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15 AUG 2022 AT 1:22

हां , हिन्दुस्तान हूं मै

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