Umang Sahu   (Löök Umâng)
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Mujhse Nafrat Karni Ho to Irade Majbut Rakhna,Jara Bhi Chuke To Mohabbat Ho Jayegi.
Joined 28 December 2017


Mujhse Nafrat Karni Ho to Irade Majbut Rakhna,Jara Bhi Chuke To Mohabbat Ho Jayegi.
Joined 28 December 2017
24 FEB 2022 AT 23:45

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने, आख़िर घुटना टूट गया
घर का बोझ उठाने वाले बचपन की तक़दीर न पूछ
बच्चा घर से काम पे निकला और खिलौना टूट गया
किसको फ़ुर्सत इस दुनिया में ग़म की कविता पढ़ने की,
सूनी कलाई देखके लेकिन, चूड़ी वाला टूट गया 😔

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3 NOV 2021 AT 13:09

May millions of lamps
illuminate your life with
joy, prosperity, health
and wealth forever.
Wishing you and your
Family a very Happy Diwali.
-Umang

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4 AUG 2021 AT 16:13

बीच चौराहे बेइज्जत हुआ
क्या मेरा आत्मसम्मान नही था
पलट के देता उत्तर मे भी
पर दोनो के लियेकानून समान नही था
वो मारती गयी मे सेहता गया
क्या गलती है मेरी दीदी मे कहता गया
वो क्रोध की आग मे झुलस रही थी
नारीशक्ति का सहारा लेकरं मचल रही थी
अगर कानून दोनो के लिये एक जैसा होता
फिर बताता तुझे आत्मसम्मान खोना कैसा होता

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1 JUN 2021 AT 1:15

बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है,
न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है,
यही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थे,
यही मौसम है अब सीने में सर्दी बैठ जाती है✍️

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31 MAY 2021 AT 1:36

मत पूछो क्या है हाल शहर में,
ज़िन्दगी हुई है बवाल शहर में,
कुछ लोग तो हैं बिल्कुल लुटे हुए,
कुछ हैं माला-माल शहर में,
झुलसी लाशों की बू हर तरफ,
कौन रखे नाक पर रूमाल शहर में,
भौंकते इंसानों को देखकर,
की कुत्तों ने हड़ताल शहर में..

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29 MAY 2021 AT 23:15

कई घरों को निगलने के बाद आती है,
मदद भी शहर के जलने के बाद आती है.
न जाने कैसी महक आ रही है बस्ती में,
वही जो दूध उबलने के बाद आती है..
नदी पहाड़ों से मैदान में तो आती है,
मगर ये बर्फ़ पिघलने के बाद आती है..

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16 APR 2021 AT 0:56

हमने ऊँची हस्तियाँ भी देखी
और घनी बस्तीयाँ भी देखी,
आवारगी भी देखी और
कड़ी गिरफ्तयाँ भी देखी,
उनसे कहो हमें उड़ना
ना सिखाएं आसमानों में,
हमने उड़ते जहाज भी देखे
और डूबती कश्तिया भी देखी..

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26 JAN 2021 AT 0:10

हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो,
माटी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो..
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना,
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो..
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी,
🇮🇳हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी🇮🇳

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30 DEC 2020 AT 23:14

कुछ अपनों पराया तो कुछ परायों को हमसफर कर गया,
देखते ही देखते इस तरह एक और साल गुज़र गया..
जो इस वर्ष खड़ा रह गया भविष्य भी उन्हीं का निखर के आएगा..
समस्याएं बड़ी थी सत्य है लेकिन समाधान की तरकीब जो इस वर्ष नें दी उस इतिहास के हम गवाह बनें.
"एक था 2020 "
🙏अलविदा -शुक्रिया 🙏

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2 DEC 2020 AT 19:18

हद ए शहर से निकली तो गाओं गाओं चली,
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली,
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो ज़िन्दगी ही क्या जो छाओ छाओ चली..✍

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