आज तक मैंने कई कविताएं लिखी,
पर जो शब्द लिखे वो गुरू के है ।
अनपढ़ से लेकर ज्ञानी तक,
जो ज्ञान मिला वो गुरू से है ।
आज उनके लिए भला, मैं क्या लिखूं,,
मेरा पूरा व्यक्तित्व उन्हीं से है ।
गुरु साधना है, हम साधक है,
गुरु दाता है, हम याचक है ।
बीच भंवर में फंसी नौका हम,
वो केवट पार लगैया है ।
गुरु साक्षात् परब्रह्म है,
हम उनके भक्त समान है ।
अब अपने शब्दों को विराम देते हुए,
गुरु को बारम्बार प्रणाम है-2 🙏🙏
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