Umakshi Kaushik   (Mis_Kaushic)
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Joined 2 October 2020


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Joined 2 October 2020
28 JUN AT 21:27

पता नहीं लोग ये ही क्यूं सोचते हैं
कि इसे उसे और जिस जिस ने मेरा दिल दुखाया
उन सबको कर्मों का फल मिलेगा।

दिल तो तुमने भी दुखाया है किसी न किसी का
जैसे वो गलत लगते हैं तुम्हें
तुम भी तो गलत होंगे किसी न किसी की नज़र में।

अब अगर बात दिल दुखाने की नहीं हैं
सिर्फ सही और गलत की है
तो छोड़ दो न फिर उस ईश्वर पर,
मिले हो क्या कभी ईश्वर से?
क्या बता कर गए थे भगवान तुम्हें कि मैं
किस कर्म की सज़ा दूंगा और किस की नहीं।

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1 SEP 2023 AT 17:37

जीवन में
जितनी लम्बी क़तार
'आपकी वजह से खुश रहने वालों' की हो
अगर उससे ज़्यादा नहीं
तो उतनी ही लम्बी क़तार
'आपके लिए खुश होने वालों' की भी होनी चाहिए।

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29 JAN 2023 AT 12:39

लोग तो आते जाते रहते हैं,
वो कहाँ ज़रूरी हैं ...

ज़रूरी तो बस लड़ाईयां होती हैं,
वे रहती हैं सदा के लिए ...




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8 DEC 2022 AT 19:54

हां! नुमाइशी बेशक नहीं,
मग़र, बेशुमार बहुत है,
ज़रा पिन्हां सी है यक़ीनन
मग़र गुलज़ार बहुत है।

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6 OCT 2022 AT 20:21

Sometimes,
I don't understand,
Am I the culprit of all the
adventure that happens in my life
or am I the victim?

Sometimes,
I also do think
whether I'm the creater of this mess
or I'm steeped unavoidably into this?

Some other times,
I'm in doubt if I'm the heroine that
comes out stronger everytime
or the escapist who finds it hard to deal
with herself.

And most of the times,
I do cry for hours, feeling sorry for others
and for days feeling sorry for myself.

You know,
everything, everyone here
is just a trap.

Trap of feelings & people found, lost and forgotten.
Traps of feelings & people re-emerging from nowhere
and creating perplexity.

Everytime.

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22 SEP 2022 AT 22:20

क्यूं परेशान होते हो मेरे सनम
हर परेशानी को धूल सा उड़ा देंगे न हम।

तुम मुस्कुरा दो बस एक दफ़ा
ज़र्रा क्या कायनात भी लुटा देंगे न हम।

ये दुनिया वाले कारीगर मिट्टी के
इश्क़ को अपने सोना बना देंगे न हम।

कुछ जलेगा तो हाय निकलेगी ही
उन जले कटों पर नमक लगा देंगे न हम।

धागा अब बंधा गया जो प्रेम का
तो इस डोर को ही मांझा बना देंगे न हम।

तुम बस साए सा रहना मेरे साथ
खु़द को तुम्हारा बख़्तर बना देंगे न हम।

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30 AUG 2022 AT 23:33

मेरा सुकून तुम मेरी जान तुम ही हो
चांद नहीं, मेरा सारा आसमान तुम ही हो।

दिल ज़रा भरा भरा सा है कुछ आज
संभाले जो उसे वह एक नाम तुम ही हो।

हवाएँ सुनाती हैं मेरे इश्क़ की कहानी
बेशुमार चाहत से मेरी अनजान तुम ही हो।

समंदर की लहरों से भीगी रेत हुं मैं
उस गीली रेत पर ठहरती शाम तुम ही हो।

जेहन में खिलते हैं फूल तुम्हें देख कर
बिखरती कली का भी अरमान तुम ही हो।

चहकने लगा जिंदगी का रस्ता मेरी
जब जाना कि इसका अनजाम तुम ही हो।

दरिया में तैर कर भी डूब जाती हूं
ये न समझो केवल एक परेशान तुम ही हो।

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7 AUG 2022 AT 11:26

I don't love you anymore.




Gharwale nahi manenge.




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6 AUG 2022 AT 19:19

चटोरों के शहर में
व्रत रखना...

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2 AUG 2022 AT 11:58

I love seeing him eat.
And more,
when it is something
I made for him.

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