लहर की तरह आया वो ज़िन्दगी मैं मेरे
और मैं रेत की तरह उसमे समा गयी-
इस क़दर वो अपना प्यार पिरोता है मेरे ज़ेहन मैं के अब कुछ और भाता ही नही है।
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मैं पढ़ रही हु उसकी ख्वाइशें
वो इश्क़ मेरे ज़हन मैं लिखता जा रहा हैं।-
मैं मुस्कुराऊँ भी तो गम पेहेचान लेता है,
वो शक्स हकीकत आँखों से जान लेता है,
जानता है वो भी की दूरियाँ बर्दाश्त नही मुझे,
इसलिये शायद ताउम्र साथ निभाने की बातें करता है।-
बस चले मेरा तो सारी उम्र
तेरे बारे मैं लिखने मैं गुज़ार दु
पर कमबख्त इन पन्नो और सियहिं मैं
इतनी ताकत कहा जो मेरी मोहब्बत बयान करदे।-
You are yours, and I am mine,
But the door to my heart is open,
and I have made the clear path.
You will never have to traverse this land alone and without shelter. My heart housed within this often empty feeling vessel, is still strong enough to guide me daily, and if you choose to take hold of my outstretched hand now my love it shall lead yours and give your heart a home as well.
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And eventually we learn that people go from being the reason we smile every morning to being the reason we cry ourselves to sleep every night at some point of time!
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वाह रे मज़हब क्या खेल खेला तूने आज
एक मासूम का कत्ल ही कर डाला
क्या सोचा तूने एक दफा के उस मासूम का रूह कितना कांपा होगा
तूने सिर्फ एक मासूम की जान नही ली है
आज तूने हर एक इंसान के अंदर खौफ भर दिया है
जिसको पूजते हो उसका ही कत्ल कर डाला
कितने सपने होंगे उस मासूम की आंखों मैं जो तूने चूर चूर कर डाला
क्या किसीको हक़ नही अब अपने सपनो को जीने का
क्या अब बस दूसरे मज़हब से होना हमारी इज़्ज़त, जान सब का खतरा है
एक दफा सोचा भी तूने के अगर आज तू किसी के साथ ऐसा कर रहा है तो कल तेरे साथ ऐसा ना होजाए
वाह रे मज़हब तेरे कई रूप!-