आजकल मौसम सर्द है
और सूरज ने भी बादलों का लिहाफ़ ओढ़ा है।
दो दिनों से क्यों रो रहा है आसमान
क्या तेरा भी किसी ने दिल तोडा है ?
- उज्जवल शाक्य-
I love Acting and Writting©
Mr. Farrukhabad© [ Let's Move FT 2019 ]
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अभी कल परसों ही तो मिले थे आप
आज इतने खास हो गये
पहले जानते तक न थे
आज दिल के पास हो गये
मेरा कोई रिश्ता तो नहीं आप से
पर फिर भी अपने लगते हो
जो खुली आँखों से देखे जायें
मुझको वो सपनें लगते हो
पर क्या ये महज़ दोस्ती है ?
या दोस्ती से बढ़कर कुछ ?
क्या ये सब नार्मल है
या फिर उससे ज्यादा कुछ ?
खैर, अंदर जन्मी बातों पे
थोड़ा शादाब ज़रूरी है
और मेरे इन चंद सवालों का
आज जवाब ज़रूरी है
- उज्जवल शाक्य-
नदी और इश्क में फर्क नहीं, लोग दोनों में बह जाते हैं
लहरें आती हैं चली जाती हैं, मगर घाट वहीं रह जाते हैं।
- उज्जवल शाक्य-
एक लड़की मेरे दिल में रहती है
धड़कन में धड़कती है मेरी साँसों में बहती है
अदायें अलग हैं काफी दुनिया से उसकी
बातें उसकी हर दम मेरी ज़ुबाँ पर रहती है
तारीफें थक चुकी हैं उसकी सीरत बयाँ करते करते
सादगी के लिये होंठो पर लाली रखती है
हड़बडाहट झलकती है कभी कभी शब्दों में उसके
ड्यूटी को डुईटी, ट्यूजडे को टूजडे कहती है
गुस्से की काफी तेज है फितरत उसकी
मगर मुझे गुस्सा न करने को कहती है
करना चाहती है आज़ाद मुझे बुरी आदतों से
नज़रें हमेशा मेरे ऊपर ही रखती है
जान है मेरी वो मैं सरेआम कहता हूँ
वो भी कभी कभी मुझे जान कहती है
एक लड़की मेरे दिल में रहती है
धड़कन में धड़कती है मेरी साँसों में बहती है।
- उज्ज्वल शाक्य-
अदालत-ए-मोहब्बत में जुर्म-ए इश्क़ न चाहते हुये भी क़ुबूल गये
दर्द के काँटे पर यादों की रस्सी से हँसते हँसते झूल गये
शिकायते लाख दबाकर रखी थी दिल में मिलकर बताने के लिये
अब जब रूबरू हुये हैं आप तो हम सब कुछ भूल गये।
- उज्ज्वल शाक्य— % &-
इस दिल में मस्ती भर जाती
मीठी मेरी बोली हो जाती
काश वो आज विश कर देती
तो मेरी भी होली हो जाती।
- उज्ज्वल शाक्य— % &-
आखिरी बार जब बात की थी उससे तो बहुत रोया था
काफी मिन्नतें की थी नींद से तब जाकर सोया था
उसे हाल-ए-दिल बयाँ करके भी बयाँ कर न सका
कोशिशें बहुत की घुट घुट कर मरने की मगर मर न सका
भीगा तकिया भी परेशान था मेरे टूटते हौंसले से
या शायद अनजान था उसके बदले हुये फैंसले से
ये इल्म न था शायद दिल को की उसने आज क्या खोया था
आखिरी बार जब बात की थी उससे तो बहुत रोया था
काफी मिन्नतें की थी नींद से तब जाकर सोया था।
- उज्ज्वल शाक्य— % &-
मोहब्बत मुझे भी थी और उसे भी
फिर पता नहीं क्यों वो मुझसे छिपाता था
मेरी हर बुरी आदतों को
वो मुझसे दूर करना सिखाता था
बड़ा ही शर्मीला था यारों वो
जो मुझसे पल भर नज़रें तक न मिलाता था
पता नहीं कुछ खाता पीता भी होगा या नहीं
जिस शख्स को मैं अपने हाथों से खाना खिलाता था।
- उज्ज्वल शाक्य— % &-
दिल-ए-उम्मीद तो जायज़ है
हम जज़्बातों को मुसलसल कसते रहेंगे
वो दूर रहकर भी पास है मेरे
अपना उसे हमेशा समझते रहेंगे
बिन देखे कहीं मन नहीं लगता मेरा
हम उसकी एक मुलाकात को तरसते रहेंगे
बेशक़ बेरुखी दिखाये वो मुझे
हम ख़यालों में उसे हमेशा सोचते रहेंगे
सादगी कमाल की है उसकी
हम मुस्कुराहट पर उसकी हमेशा फँसते रहेंगे
वो मिले या न मिले मुझे
नम आँखे लिये हमेशा हँसते रहेंगे
वो ज़िदंगी के हर पड़ाव पर खुश रहे
आशिकों के दिलों का क्या वो तो टूटते रहेंगे।
- उज्ज्वल शाक्य-
शक्ल खुशनुमा है मगर आँखे नम हैं
चेहरे कहाँ बताते हैं कि कितने ग़म हैं
और दिन रात हँस हँस कर बातें करता हूँ आईने से
ये आईने तो झूठे हैं सच्चाई तो हम हैं।
- उज्ज्वल शाक्य— % &-