प्रेम में प्रेमी तोहफ़े नहीं देते,
आप देते हैं सिर्फ निशानियाँ..!!-
काफ़िर शायर हूँ
हंसोड़ जोकर हूँ
अनसुलझी बातें लिखता हूँ
कुल मिला कर छो... read more
इतनी क़ुरबत के बाद बिछड़ना ज़रूरी था
एहसासों को एहसासों से मुकरना ज़रूरी था
रफ़ीक़ के वास्ते ही सारे शेर क्यों पढ़े जाये
रक़ीब के कूचों से भी गुज़रना ज़रूरी था
दिलगीर है ज़ेहन तो ये तमाशा क्या है
ख़ुमार-ए-मय भी तो उतरना ज़रूरी था
नकीदों के हँसी से क्यों नाराज़ हो हम
तमाशा अच्छा या बुरा कर गुज़रना ज़रूरी था
पहुँचा कर उन्हें फ़िरदौस के दर पर "उज्जवल"
दोज़ख़-ए-आग में भी जरना ज़रूरी था-
एक ही मर्ज़ के सताए हम तुम,
चलो दूर कहीं रो आये हम तुम
दवा के इंतजार में क्यों बैठे रहें,
एक दूसरे की दवा हो जाये हम तुम
दुनिया ढूंढती है कोई नया तमाशा,
इस दुनिया के हाथ न आये हम तुम
सदियों इंतज़ार में जगी है आँखे हमारी,
अब अपनी आँखें मूंद सो जाये हम तुम
लोग देखें तो देखते रह जाए "उज्जवल"
एक दूसरे पर यूँ फ़ना हो जाएं हम तुम..!-
सारी रात सड़कों पर जिस्म को तन्हा गुजार कर,
दरवाजा खटखटाया मैंने अपना ही नाम पुकार कर
अपने आस्तीन से ढक लेता हूँ जिस्म का रोयां रोयां मैं,
वो नुमाइश करता है वफ़ा का अपने ज़ख्म उभार कर
क्यों इस तरह से मिल रहे हैं मुझसे मख़मली चेहरे वाले,
इनसे कोई कह दो की मुझसे बात करे नकाब उतार कर
उन्हें अपने अना की इतनी फ़िक्र रही है "उज्जवल"
मेरे जनाज़े में भी वो आये तो अपना चेहरा संवार कर!!
-
जवान दोपहर में देखा है करामात ऐसा,
चाँद आया था मुझे देखने मुंडेर पर अपने।-
मैं पढ़ता हूँ छोटी बड़ी
तमाम कहानियाँ,
जिनके किरदारों में
ढूंढने लगता हूँ
कोई हिस्सा तुम्हारा,
कभी एकाध मिल जाता है
पर वो नहीं होता संपूर्ण,
जैसी पूर्णता है तुममे
मैं बन्द कर के रख देता हूँ,
उन कहानियों की किताबों को
और पढ़ने लगता हूँ तुम्हे..!!-
जब आहिस्ता आहिस्ता सूरज
जाएगा गोद में चाँद के,
मिटा देने को अपना अस्तित्व
कर देने चाँद को सम्पूर्ण,
उस वक्त में हम तुम,
सूरज और चाँद होंगे...!!-
इंकार में भी कितना मोहब्बत है तुम्हारे,
तुम जब नाराज़ होते हो तो ये मालूम चलता है।।-