Ujjwal Mukaddam   (Ujjwal Mukaddam)
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5 JUN 2023 AT 13:32

इश्क़ हो या ज़ख्म
नए नए ही तकलीफ़ देते हैं,

चंद हमदर्द हैं जो
जीने की मुझे तरकीब देते हैं,

शिद्दत से चाहो जो शय
साथ कहां खुदा और नसीब देते हैं,

खंजर से गहरे घाव
आशिकों को ये रकीब देते हैं,

तेरा मर्ज अलहदा है
इसकी दवा थोड़ी तबीब देते हैं,

गम वफ़ा खुद्दारी वहशत
इन चीजों को तवज्जों कहां अदीब देते हैं...

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31 MAY 2023 AT 12:03

कौनसा पता दूं तुझे मिलने को
वो जो मेरा मकां है या वो जो मेरा घर है,

तेरे होंठो पे झूठ मेरे दिल को तसल्ली
ये तेरा हुनर है या मेरा हुनर है,

माना की पढ़ लेता हूं चेहरे भी
मगर पीठ पीछे किसके नज़र है,

दुनिया चाहे कुछ भी कहे
तू खुश है तो मुझे सबर है,

वो जो ज़िंदगी है एक लम्हा मेरी
लम्हा वो कितना मुख्तसर है,

उस सफर पे ना सही इस सफर पे तो अलविदा कह
सुना है मैंने कि ये मेरा आखिरी सफर है...

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31 MAY 2023 AT 11:55

क्या तुझे कुछ खबर है
हमारे बारे किस किस को खबर है,

ऐरा गैरा सुनाता है किस्से तेरे
और एक तू है कि बेखबर है,

दांव पेंच कितने ही है ना जाने
मगर तुझपे तो सब बेअसर है,

जो दावे हैं तेरे वो पक्के भी हैं
या सिर्फ अगर मगर है,

कभी कहीं पहुंच ही नहीं पाते
ये ऐसा कौनसा सफर है,

मैं क्या जवाब दूं लोगों को
मेरा जो यार है अब किधर है,

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27 MAY 2023 AT 14:54

यतीमों को क्या ख़बर
परवरिश क्या है,

साए में बैठो को क्या ख़बर
तपिश क्या है,

रक़ीबों को क्या ख़बर
ख़लिश क्या है,

खुशनसीबों को क्या ख़बर
गर्दिश क्या है,

यकजाई को क्या ख़बर
कशिश क्या है,

ज़ाहिलो को क्या ख़बर
मेहविश क्या है...

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24 MAY 2023 AT 0:32

पहले हादसों का सबक भूल गया
फिर एक दफा बेरुखी चाहता है,

अब जो करीबी है चुभती है
उस अजीज़ शख्स को अजनबी चाहता है,

उसे चाहना अब इतना आसान कहां
जिसे शहर का हर आदमी चाहता है,

किसपे किसका कितना हक़ है जानता है
लोगो से सुनके दिल की तसल्ली चाहता है,

शिकन बनी रहे बेशक से माथे पर
यारों से मिलने को होंठो पे हंसी चाहता है,

सुनकर किस्से उसके कुछ मांगते हैं दुआ मौत की
कोई उसके नाम पर सिर्फ शायरी चाहता है...

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24 MAY 2023 AT 0:17

अब जो मिले हैं बिछड़ कर
तो फिर बिछड़ने को जी चाहता है,

ये दिल भी ना कमबख्त
ना जाने क्या ही चाहता है,

जो सोचूं उसके बारे में
तो जिंदगी चाहता है,

जो सोचूं रकीब का
तो खुदकुशी चाहता है,

अंधेरा साथ दे तो रहा है
खामख्वाह ही रोशनी चाहता है,

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16 MAY 2023 AT 21:39



ये जो हैं समंदर का दावा करने वाले
वक्त पर कतरा भी देने से कतराते हैं,

जिन्हें तू अपनी ज़िंदगी बताता फिरता है
कलाकार हैं सब अपना किरदार निभाते हैं,

यूँ तो मायूसी है महलों में भी कहीं कहीं
कहीं कहीं झोपड़ी में भी गुज़र कर जाते हैं,

ज़वानी में होते थे जितने भी मुल्हिद ये
बुढ़ापे में सब मजारों पे नज़र आते हैं,

मैं हमदर्द किसी का कोई हमदर्द मेरा
इंसान बेचारे यूँ ही तो मन बहलाते हैं,

किसका क्या कब कितना , क्या हिसाब
सब अपने अपने हिस्से की तो खाते हैं...

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15 MAY 2023 AT 21:39

लाखों हैं चेहरे यूं तो ज़माने में
एक शख़्स एक शख़्स को तलाशता है,

बचाता था दामन जो गैरों का कभी
खुद पे वो आज कीचड़ उछालता है,

यतीम सा फिरता है इस दुनिया में
अकेले ही अपने गमों को पालता है,

आंखें झुकी है होंठ सिले हैं उसके
हर कोई बातों के मतलब निकालता है,

दौलत हुस्न ज़वानी सब गवां दिए हैं
वो बुढ़ापे के लिए यादों को संभालता है...

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7 MAY 2023 AT 23:24

मैंने मेरे गमों को घावों को
पाल कर रखा है,

तेरी सारी तस्वीरों को भी
संभाल कर रखा है,

एक बस तू ही है दिल में
बाकी सब निकाल कर रखा है ,

और तू है कि सुनता नहीं
अरे यार कमाल कर रखा है,

इतनी बेरुखी चेहरे पर
क्या मेरे बारे में किसी ने सवाल कर रखा है,

बिछड़ कर निखरे तुम भी नहीं
ये क्या हाल कर रखा है...

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5 MAY 2023 AT 23:21

ज़ख्म गहरे थे ही इतने
असर हुआ नहीं मलहम लगाने से,

और ये सोचते हैं कि आराम होगा
मुझे उसकी तस्वीर हटाने से,

मैंने उसके किस्से खूब गाये
मुझे पता था मर्ज बढ़ेगा मर्ज छुपाने से,

मेरे सब यार हकीम बन बैठे
बाज़ आए नहीं नए नुस्खे आजमाने से,

मैं कभी तन्हा नहीं रहा
नए दर्द आते रहे मिलने पुराने से,

जिंदगी से कह दो मैं आशिक हूं मौत का
बाज़ आ जाए वो मुझे आजमाने से,

मैंने खुद ही आग लगाई है मेरे घर में
फायदा होगा नहीं किसी के बुझाने से,

ये जो मैं हूं अब मैं नहीं हूं
मुझे तो मैं लगा आया कबका ठिकाने से...

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