इतना करीब तू मेरे कब आ गया
कि जब जब तू आगे बढ़ रहा
तो मन मेरा क्यों चहक रहा है।❤️🫶
और माना कि इत्र तूने लगाया है
फिर बदन मेरा क्यों महक रहा है।❤️🫶-
Which are never ever experienced by my heart.......... read more
बड़े सहेज कर रखे है तेरे दिए हर जख्म मैंने
हर रोज, हर पहर, हर पल
दर्द से रुखसत हो जाता हूं
ये दर्द भी मंजूर है मुझे
इस बहाने
तेरे
कुछ पल तो करीब आता हूं।-
थोड़ा कमजोर है दिल मेरा,
दिए गए हर घाव को सह ना सकूँगा।
लफ्ज भी कम पड़ जाएँगेे कहने को,
इतने सारे भाव है कि कह ना सकूँगा।-
ये दुआ है रब से,
के मेरी मौत के जनाज़े मे,
एक कंधा उनका भी हो।
जीते जी ना सही कमबख्त,
मरते वक्त तो साथ दे देना।-
हर चीज का कारण जान लोगे
तो मेरी किताब का हर पन्ना जान लोगे
कुछ अधूरे पन्ने छिपाकर रखने मे तो
जिंदगी जीने का मजा है।-
अरे तुम लिखित से मिटा सकते हो ,
अपने कहे हर लफ्ज को।
मगर मन मे से कैसे मिटाोगे काफिर उनको ,
जो निशान बन चुके है।-
एक पूर्णिमा चांद से कुछ यूं बहस हुई,
बढ़ते बढ़ते बहस कुछ इस कदर गई।
दमक रहा था वो बड़े गुरुर में,
सब कुछ अपना करने के फितूर में।
क्यों ना इस घमंड को चूर किया जाए,
दिखाया इसे अपने हूर का नूर जाए।
मेरी हूर के सामने उसकी चमक हास्य हो गई,
देखते ही देखते पूर्णिमा भी अमावस्य हो गई।-