Ujjwal Kumar   (@uk)
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Joined 8 April 2020


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Joined 8 April 2020
18 JAN 2023 AT 13:51

इतना करीब तू मेरे कब आ गया

कि जब जब तू आगे बढ़ रहा
तो मन मेरा क्यों चहक रहा है।❤️🫶

और माना कि इत्र तूने लगाया है
फिर बदन मेरा क्यों महक रहा है।❤️🫶

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22 AUG 2022 AT 21:18

बड़े सहेज कर रखे है तेरे दिए हर जख्म मैंने

हर रोज, हर पहर, हर पल
दर्द से रुखसत हो जाता हूं

ये दर्द भी मंजूर है मुझे
इस बहाने
तेरे
कुछ पल तो करीब आता हूं।

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8 MAY 2022 AT 6:35

She is my Marvelous
"Girlfriend"
(Read whole in caption)

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4 JUN 2021 AT 22:06

मंजिल ख़्वाब बन कर
निकल जाए
बिस्तर से इतना
प्यार भी मत कर।

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15 AUG 2020 AT 12:57

थोड़ा कमजोर है दिल मेरा,

दिए गए हर घाव को सह ना सकूँगा।

लफ्ज भी कम पड़ जाएँगेे कहने को,

इतने सारे भाव है कि कह ना सकूँगा।

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13 AUG 2020 AT 15:09

ये दुआ है रब से,

के मेरी मौत के जनाज़े मे,

एक कंधा उनका भी हो।

जीते जी ना सही कमबख्त,

मरते वक्त तो साथ दे देना।

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13 AUG 2020 AT 11:25

हर चीज का कारण जान लोगे

तो मेरी किताब का हर पन्ना जान लोगे

कुछ अधूरे पन्ने छिपाकर रखने मे तो

जिंदगी जीने का मजा है।

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13 AUG 2020 AT 11:17

अरे तुम लिखित से मिटा सकते हो ,

अपने कहे हर लफ्ज को।

मगर मन मे से कैसे मिटाोगे काफिर उनको ,

जो निशान बन चुके है।

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9 JUL 2020 AT 14:53

❤️❤️SOMETHING ❤️❤️
👇

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9 MAY 2020 AT 17:27

एक पूर्णिमा चांद से कुछ यूं बहस हुई,
बढ़ते बढ़ते बहस कुछ इस कदर गई।

दमक रहा था वो बड़े गुरुर में,
सब कुछ अपना करने के फितूर में।

क्यों ना इस घमंड को चूर किया जाए,
दिखाया इसे अपने हूर का नूर जाए।

मेरी हूर के सामने उसकी चमक हास्य हो गई,
देखते ही देखते पूर्णिमा भी अमावस्य हो गई।

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