Ujjawal Abhishek   (UJJAWAL ABHISHEK)
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The Fourth.
Joined 16 September 2017


The Fourth.
Joined 16 September 2017
16 SEP 2022 AT 8:57

भले दो दफा मना कर दिया उसने
तीसरी बार पुछने से ना तौबा है,
ये जिस्म का घमंड नहीं
रूह का रूतबा है।

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11 SEP 2022 AT 22:37

मैं उसका "और बताओ"
होना चाहता हूं,
बस वो मेरी "पता है आज क्या हुआ"
बनने को राज़ी हो जाए।

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23 MAY 2022 AT 23:49

किसी सूने ललाट पर
बिंदी जैसी तुम,
इस अंग्रेज़ी के जमाने में
हिंदी जैसी तुम।

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27 APR 2022 AT 11:00

डर का मेरे मन पर
हमला करना और हार जाना
दैनिक है
वो क्या है ना,
शख्सियत ही अपनी
सैनिक है।

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26 MAR 2022 AT 20:11

उस दिन से मैं
इस दुनिया का न रहा
जबसे ठहर कर
खुद को भागते देखा।

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25 MAR 2022 AT 1:50

चांद को गलने से बचा लिया
और हलाहल को कंठ में पचा लिया,
अमर हो कर भी विवाह,
मरणधर्मा से रचा लिया
भले 108 बार मरी हो सती,
पर शिव ने हर बार उन्ही हाथों को थामा और
सनातन के सिंदुर की महिमा बता दिया,
तभी तो ऋषियों ने
"सदा वसंतम ह्रदयार विंदे भवम भवानी
सहित नमामि" गा कर मोक्ष का द्वार पा लिया।।

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3 JUN 2021 AT 21:44

Mushkil b tum ho
hal b tum ho...
hoti h jo
dil me woh hulchul b tum ho

- PANKAJ VERMA

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15 MAR 2021 AT 17:10

जुदाई सहने की आदत हो गई है
गम न कहने की आदत हो गई है।
हो के जुदा लिया यार ने जीने का वादा
आँसू पीने की अब आदत हो गई है।।

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19 DEC 2020 AT 15:46

ये दुराचारी है
भीड़ कहती है
इसे पत्थर मारो
इंसाफ हो,
यीशु का वचन है
पहला पत्थर वही उठाए
जिसका दामन साफ हो।

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6 DEC 2020 AT 3:31

नवजात के देह में
एक चंचल परिंदा रहता है।
हँसना तो कभी कभी
रोने से ही जिंदा रहता है।।

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