** स्वामी राजेश्वरानंद जी **
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सुख पाता रहा जो सदा जग में ।
उसे आखिर में दुःख पाना पड़ा ।।

पछताया नहीं जो कभी भी कहीं ।
उसे अंत समय पछताना पड़ा ।।

कोई फूल न बाग में ऐसा खिला ।
खिलके न जिसे मुरझाना पड़ा ।।

बिधि का यह अटल बिधान रहा ।
जिसे आना पड़ा, उसे जाना पड़ा ।।

- उदय प्रताप जनार्दन सिंह