उदय प्रताप सिंह   (उदय प्रताप जनार्दन सिंह)
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ग्राम व पोस्ट- मदारभारी, जिला - अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
Joined 23 January 2018


ग्राम व पोस्ट- मदारभारी, जिला - अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
Joined 23 January 2018

🏵️ कान्हा चलने लगे 🏵️
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२
रुनऽऽऽऽझुनऽ, बाजेऽऽ! पैजनियाँऽऽऽऽऽऽ!हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!
कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२
खींच० कभीऽऽऽ ! पग डगमग, कभीऽऽऽ, गिरही पड़ेऽऽ!२
गिरगिरके, कन्हैया ! सँभलनेऽऽ लगेऽऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२

खींच ० नन्दबाबाकी, उँगलीऽऽऽ, पकड़कर चलेऽऽऽ!२
और मैयाऽऽऽके, आँचलऽऽऽ, जकड़केऽऽ, चलेऽऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२

कभी दौड़ेऽऽऽ, तो ऐसेके , रुक नाऽऽ सकेऽऽऽऽ!२
कभी बछड़ेऽऽऽऽ की पूँऽऽऽछऽ, पकड़ दौड़ेऽऽऽऽ!२
और फिसलकरऽऽ गिरे तोऽऽ, सँभलकरऽऽ उठेऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२

कभी माँ कीऽऽऽऽ, गोंदी में, इतराने लगेऽऽऽं!२
कभी धरती पे, पैयाँऽऽऽऽ, पटकने लगेऽऽऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ कान्हा चलने लगे 🏵️
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२
रुनऽऽऽऽझुनऽ, बाजेऽऽ! पैजनियाँऽऽऽऽऽऽ!हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!
कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२
खींच० कभीऽऽऽ ! पग डगमग, कभीऽऽऽ, गिरही पड़ेऽऽ!२
गिरगिरके, कन्हैया ! सँभलनेऽऽ लगेऽऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२

खींच ० नन्दबाबाकी, उँगलीऽऽऽ, पकड़कर चलेऽऽऽ!२
और मैयाऽऽऽके, आँचलऽऽऽ, जकड़केऽऽ, चलेऽऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२

कभी दौड़ेऽऽऽ, तो ऐसेके , रुक नाऽऽ सकेऽऽऽऽ!२
कभी बछड़ेऽऽऽऽ की पूँऽऽऽछऽ, पकड़ दौड़ेऽऽऽऽ!२
और फिसलकरऽऽ गिरे तोऽऽ, सँभलकरऽऽ उठेऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२

कभी माँ कीऽऽऽऽ, गोंदी में, इतराने लगेऽऽऽं!२
कभी धरती पे, पैयाँऽऽऽऽ, पटकने लगेऽऽऽऽ!२
हो, कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ! कान्हा ! चलनेऽऽऽ लगेऽऽऽ!२
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ श्रीमद्भगवद्गीता सुनाने वाले गुरूकी वन्दना 🏵️
गीता ज्ञान सुनाने वाले ! अज्ञान् मिटाने वाले !२
तुमको लाऽऽखों प्रणाऽऽम् ! तुमको लाऽऽऽखों प्रणाऽऽऽऽम् !२

हम भटक रहे थे, जगमेंऽऽऽऽ! और मोहपाश के बश मेंऽऽऽऽ!२
👉हमें राह बताने वाऽलेऽऽऽ ! सन्मार्ग चलाने वालेऽऽऽ!२
तुमको लाऽऽखों प्रणाऽऽम् ! तुमको लाऽऽऽखों प्रणाऽऽऽऽम् !२

इन्द्रियों के भोगी होकरऽऽऽ! खारहेथे, जगमें, ठोकरऽऽऽऽ!२
👉 जीवन को, सजाने वालेऽऽऽ! अमृतको पिलाने वालेऽऽऽ!२
तुमको लाऽऽखों प्रणाऽऽम् ! तुमको लाऽऽऽखों प्रणाऽऽऽऽम् !२

कोइ क्या समझे समझावैऽऽऽऽ! बस एक रूप गुण गावैऽऽऽ!२
👉वो प्रेम लुटाने वालेऽऽऽ! वो कृपा बिहारी वालेऽऽऽ !२
तुमको लाऽऽखों प्रणाऽऽम् ! तुमको लाऽऽऽखों प्रणाऽऽऽऽम् !२

गुरु व्यासानन्दकी जय होऽऽ! गुरु त्रिपाठीजी की जय होऽऽ!२
👉भारत की शान बढ़ाने वालेऽऽऽ! गीता शंख बजाने वालेऽऽऽ!२
तुमको लाऽऽखों प्रणाऽऽम् ! तुमको लाऽऽऽखों प्रणाऽऽऽऽम् !२

गुरु घटघट अंतर्यामीऽऽऽ! हम पतित और अज्ञानीऽऽऽ!२
👉 कृष्ण की कृपा दिलाने वालेऽऽऽ! कृष्ण से प्रेम कराने वालेऽऽऽ! तुमको लाखों०
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य 🏵️
उतारो चिन्ताओं का भाऽऽर ! जिओ गीताके ही, अनुसाऽऽर !२
👉खिलेगा जीवन साराऽऽऽऽ! मिलेगा मोहन प्याराऽऽऽ!२

आओ गीता, जीवन गीत, बनालो, सभीऽऽऽऽ! बनालो सभीऽऽऽ!२
इस जीवन का, पूरा लाभ, उठालो, सभीऽऽऽ! उठालो सभीऽऽऽ!२
👉लगेगी जीवन नैया पाऽऽऽऽरऽ!२ जिओ गीताके ही, अनुसार ! खिलेगा जीवन ०

प्रतिकूलता निराशासे क्यों डरते होऽऽऽ! डरते होऽऽऽऽ!२
चिन्ताओंमें, घुलघुलकर क्यों मरते होऽऽऽ! मरते होऽऽऽ!२
👉सुनोंमाँ गीताकीऽऽऽ, पुकाऽऽरऽ! जिओ गीताके ही, अनुसार ! खिलेगा जीवन ०

समता त्यागका, अमृतमधुर, पिलाएजोऽऽऽऽ! पिलाएजोऽऽऽ!२
राग-द्वेष, सब संसय, दूर भगाए जोऽऽऽऽऽ! भगाए जोऽऽऽऽऽ!२
👉 ऐसी गीतापे, जाऊँ बलिहाऽऽरऽ, जिओ गीताके ही, अनुसाऽऽर ! खिलेगा०
उतारो चिन्ताओं का भाऽऽर ! जिओ गीताके ही, अनुसाऽऽर ! खिलेगा जीवन सारा०

संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य 🏵️
गीताहै जोगीत, कृष्ण भगवाऽऽन् काऽऽऽऽ भगवान् काऽऽऽऽ!२
👉आओ बनाएं गीत, विश्व कल्याण काऽऽऽऽ!२
आओ बनाएं गीत ०
कर्मभक्ति और ज्ञानकी, अद्भुत धारा हैऽऽऽ! धारा है ऽऽऽ!२
मानवता का उद्,घोषक ये, न्यारा हैऽऽऽऽ! न्यारा हैऽऽऽ!२
👉 मिलकर कर अभिनंदन इस बरदाऽऽन काऽऽऽ!
आओ बनाएं गीत०
राग-द्वेष अभिमान घृणा सब दूर करोऽऽऽ! दूर करोऽऽऽऽ!२
जातिप्रेम सद्भाव, हृदयमें सबकेभरोऽऽ! सबके भरोऽऽ!२
👉सबको मिले सन्देश, इस आह्वाऽऽन् काऽऽऽ!
आओ बनाएं गीत०
करुणामयी है ये मेरी, गीता माताऽऽऽऽऽऽ! गीता माताऽऽऽऽ!२
सबकोदेती प्यार, शरण जोभी आताऽ! शरण जोभी आताऽ!२
👉 भेदभाव नहिं निर्धन और धनवान् काऽऽऽ!
आओ बनाएं गीत०
हेगोविन्द बहुत हमपर उपकारऽ कियाऽऽऽ! उपकार कियाऽऽऽ!२
मानवता का जो तुमने उपहाऽर दियाऽ! उपहार दियाऽऽ!२
👉कैसे चुकाएं कर्ज, इस एहसान काऽऽऽ!
आओ बनाएं गीत०
आओ गीता, जीवन दीप, जलाएं सभीऽऽऽ! जलाएं सभीऽऽऽऽ!२
सुनि गीताके भाव, मिलके गाएं सभीऽऽऽ! गाएं सभीऽऽऽऽ!२
👉गौरवगाथा है, भारतऽ, महाऽऽन् कीऽऽऽऽऽ! आओ बनाएं गीत विश्व कल्याण काऽऽऽ!२
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य 🏵️
गीताहै जोगीत, कृष्ण भगवाऽऽन् काऽऽऽऽ भगवान् काऽऽऽऽ!२
👉आओ बनाएं गीत, विश्व कल्याण काऽऽऽऽ!२

कर्मभक्ति और ज्ञानकी, अद्भुत धारा हैऽऽऽ! धारा है ऽऽऽ!२
मानवता का उद्,घोषक ये, न्यारा हैऽऽऽऽ! न्यारा हैऽऽऽ!२
👉 मिलकर कर अभिनंदन इस बरदाऽऽन काऽऽऽ, आओ बनाएं गीत०

राग-द्वेष अभिमान घृणा सब दूर करोऽऽऽ! दूर करोऽऽऽऽ!२
जाति प्रेम सद्भाव, हृदय में सबकेभरोऽऽऽ! सबके भरोऽऽऽ!२
👉सबको मिले सन्देश, इस आह्वाऽऽन् काऽऽऽ, आओ बनाएं गीत०

करुणामयी है ये मेरी, गीता माताऽऽऽ! गीता माताऽऽऽ!२
सबको देती प्यार, शरण जो भी आताऽऽऽ! शरण जो भी आताऽऽऽ!२
👉 भेदभाव नहिं निर्धन और धनवान् काऽऽऽ!आओ बनाएं गीत०

हे गोविन्द बहुत हमपर उपकारऽ कियाऽऽऽ! उपकार कियाऽऽऽ!२
मानवता का जो तुमने उपहाऽऽर दियाऽऽऽ! उपहार दियाऽऽऽ!२
👉कैसे चुकाएं कर्ज, इस एहसान काऽऽऽ! आओ बनाएं गीत०

आओ गीता, जीवन दीप, जलाएं सभीऽऽऽ! जलाएं सभीऽऽऽऽ!२
सुनि गीताके भाव, मिलके गाएं सभीऽऽऽ! गाएं सभीऽऽऽऽ!२
👉गौरवगाथा है, भारतऽ, महाऽऽन् कीऽऽऽऽऽ! आओ बनाएं गीत०
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ क्रांतिकारी काव्य दीदी मां से सुना था 🏵️

जगाऽयाऽऽऽ! तुमको, कितनी बाऽऽरऽ + जगाऽयाऽऽऽ! तुमको, कितनी बाऽऽरऽ!२
राज बुद्ध ने छोड़ दिया था, घर से नाता तोड़ लिया था !२
🌹नेह योगसे जोड़ लिया था !२
👉धर्मचक्र के प्रवर्तक केऽऽऽ!२;भूलगये उपकाऽऽरऽ, जगाया०


जिसकी तेज खड्ग के आगे !२ अपने प्राण यवन ले भागे !२🌹फिरभी मारे गए अभागे !२
👉जब बन्दों मचा दिया थाऽऽऽ !२ रणमें हाहाकाऽऽरऽ, जगाया०


अस्सी घाव लगे थे तन में !२ फिरभी व्यथा नहीं थी मन में !२🌹पानीपत के घोर समर में !२
👉 तुम्हें बचाने को चमकी थीऽऽऽ!२ सांगा की तलवाऽऽरऽ, जगाया०


वेदोंका आदेश यही था !२ गीता का उपदेश यही था !२
यस्यनाऽहंकृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते ।
हत्वापि से इमांल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते ।।
👉 चलते क्यूँ नहिं आज कृष्ण केऽऽ!२ शिक्षा के अनुसाऽऽरऽ, जगाया ०


समय नहीं है अब सोने काऽऽ!२ निद्रा में अवसर खोने काऽऽ !२🌹गया जमाना अब रोने काऽऽ!२
👉रिपुदल से तुम हल्का करदोऽऽ!२ मातृभूमि का भाऽऽरऽ, जगाया ०

संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ रामभजे गति केहिं नहिं पाई 🏵️
जबमायाके, फेरमें भूरि पर्ऽयो, सुनिहैं केहि कौन कही उनको !
जिनको परतीति है झूठइ में, जेहिं झूठ कहावत हैं, सही को !
👉कोउ माने न माने, रुची उसकीऽऽऽ, राजेश भरोसोंहै वही को !
जब नाम प्रभाव तरे पथरा, नर क्यों न तरै, जो जपै वहीं को !
🏵️ रामभजे गति केहिं नहिं पाई 🏵️

रामऽ कहनेऽसे, तरऽ जाएगाऽ!२ पारऽ भवसेऽऽऽ उतरऽ जाएगाऽ!२ खींच०
सीताराऽमऽ राऽमऽ राऽमऽ + सीताराऽम राऽमऽ राऽऽमऽ!२ खींच०

खींच० होगी, घर-घरऽ में, चर्चाऽंऽ तेरीऽऽऽऽऽऽऽ!२
👉जिस गलीऽसेऽ, गुजरऽ जाएगाऽऽ!२ रामऽ कहनेऽऽसे० सीताराऽमऽ राऽम०

बड़ीऽऽ मुश्किल सेऽ, नर-तनऽऽऽऽ मिलाऽऽऽऽऽऽ!२
👉 क्या पताऽ कलऽ, किधरऽ जाएगाऽ!२ रामऽ कहनेऽऽऽसे० सीताराऽमऽ राऽम०

जगऽ कहेगाऽऽऽ कहाऽऽनीऽऽऽ तेरीऽऽऽऽऽऽ!२
सबऽ कहेंगेऽऽऽ कहाऽऽनीऽऽऽ तेरीऽऽऽऽऽऽ!२
👉कामऽ ऐसाऽऽ जो, करऽ जाएगाऽ!२ रामऽ कहनेऽऽऽसे० सीताराऽमऽ राऽम०

उनके आगेऽऽऽ तु, झोलीऽऽऽ फैलाऽऽऽऽऽ!२
👉सदा झोलीऽजो, भरऽ जाएगाऽऽ!२ रामऽ कहनेऽऽऽसे० सीताराम राम राम ०
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ श्रीमद्भागवत ग्रन्थ का माहात्म्य 🏵️
🌹ऊँ🌹
आऽऽने से उसकेऽऽऽ, बदलेऽऽ स्वभाऽऽऽवऽ,
जाऽऽने से उसकेऽऽ बदलेऽऽऽऽऽऽ मिजाऽऽऽऽजऽ!
व्यासजीकी वाऽणीऽऽ हैऽऽऽ! भागवत ग्रन्थऽ महाऽऽनऽ+
ऋषियोंकी वाऽऽऽऽणीऽ हैऽऽऽऽ! मेरा भारतऽ महाऽऽनऽ!२

जी,वनऽऽ, बनाऽऽएं, ऐऽऽसेऽऽऽ, जैसे फूलोंके अंदरऽ सुगन्धीऽऽ!२
बऽनऽताऽऽ है, स्वच्छऽ जी,वनऽ, देखोआऽदतऽ खतमऽहोऽती गन्दीऽऽ!२
👉 वेदोंका ज्ञाऽऽऽन देऽती रहेऽऽऽ!२, ऋषियोंकी वाऽऽऽऽणीऽ हैऽऽऽऽ!
मेरा भारतऽ महाऽऽनऽ!२
जिसनेऽऽऽ, लियाऽऽ सऽहाराऽऽऽ, वह तो, दानवसे मानव बना हैऽऽऽऽ!२
गिरतेऽऽऽऽ हुएऽऽऽ उठाऽएऽऽऽऽऽऽ, घोरऽ पापोंसे वहनर बचाऽऽ हैऽंऽऽऽ!२
👉 करतीऽऽ प्रकाऽश, तेरे अन्दरऽ!२ ये तो सतऽपथऽ चलाऽऽतीऽऽ, हैऽऽ,
भागवत ग्रन्थऽ महाऽऽनऽ
गिरतेऽऽऽ हुएऽऽऽऽऽ, जनोंकोऽऽऽऽऽऽ, छातीसे इसने लगायाऽऽऽऽऽ!२
जोभीऽऽऽ बनेऽऽ बिधर्मीऽऽऽ, शुद्धकरके घरवापस है,लायाऽऽऽऽ!२
👉पूँछोजोतुमऽऽ, तो,ये कहतेऽऽ! ये तो बिछड़े किनाऽऽरे हैंऽऽऽ,
भागवत ग्रन्थऽ महाऽऽनऽ!२ आऽऽने से उसकेऽऽऽ०
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ गुरुदेवजी से विनम्र प्रार्थना 🏵️
मैंऽऽऽ,प्यासा,पपीऽऽहाऽऽ हूँऽऽऽऽऽऽ! गुरु जलकीऽऽ बूँऽऽऽदऽ पिलाऽऽऽऽंं!२
👉इक जलकीऽऽ बूँऽऽदऽ पिलाऽऽऽऽ! अमरित कीऽऽ बूँऽऽऽदऽ पिलाऽऽऽऽ!२
मैंऽऽऽ,प्यासापपीहा हूँऽऽऽऽऽऽ०

आऽऽऽ, शास्त्र सुनाऽऽ जाओ डेराऽऽऽऽ, गुरु घायल मन हैऽऽ मेराऽऽऽऽऽ!२
👉इक बाऽऽरऽ लगाऽऽ दो फेराऽऽऽ!२ गुरु इनसे मुक्ति दिलाऽऽऽऽ!२
मैंऽऽऽ,प्यासापपीहा हूँऽऽऽऽऽऽ०

ये विकाऽऽरऽ बड़ेऽऽऽ अन्यायीऽऽऽऽ! लिये खंजर खड़ेऽऽ कसाईऽऽऽऽ!२
👉 जैसे मीरा की, मुक्ति कराईऽऽऽ!२ अपने में लियाऽऽ मिलाऽऽऽऽऽ!२
मैंऽऽऽ,प्यासापपीहा हूँऽऽऽऽऽऽ०

माया का फूऽऽलऽ सुगन्धीऽऽऽऽ! जिसे देख आँख हुई अन्धीऽऽऽऽऽ!२
👉 तुम इसे बना लो बन्दीऽऽऽऽ!२ सतसंग का फूऽऽलऽ खिलाऽऽऽऽऽ!२
मैंऽऽऽ,प्यासापपीहा हूँऽऽऽऽऽऽ०

गुरु व्यासानन्द मेऽरेऽ, दाताऽऽऽ! हैं मेऽऽरेऽ भाऽऽग्यऽ विधाता ऽऽऽऽ!२
👉 मैं तेऽऽरेऽऽ हीऽऽ गुनऽगाताऽऽ!२ मुझे अपना नाऽऽमऽ दिलाऽऽऽऽऽ!२
मैंऽऽऽ,प्यासापपीहा हूँऽऽऽऽऽऽ०
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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