उदय प्रताप सिंह   (उदय प्रताप जनार्दन सिंह)
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ग्राम व पोस्ट- मदारभारी, जिला - अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
Joined 23 January 2018


ग्राम व पोस्ट- मदारभारी, जिला - अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
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🏵️श्रीमद्भगवद्गीता 02/05/2025🏵️
अध्याय 18 का 66वाँ श्लोक
🌹गोपनीय और सार बात 🌹
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ।।

भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि - सम्पूर्ण धर्मों का आश्रय छोड़कर तू केवल मेरी शरण में आ जा ! मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा ! चिन्ता मत कर !
--साधक संजीवनी टीका से !
( स्वामी रामसुखदास जी महाराज )
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️श्रीमद्भगवद्गीता 01/05/2025🏵️
अध्याय 18 का 65वाँ श्लोक

मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि में ।।

हे अर्जुन ! तू मेरा भक्त हो जा , मुझमें मन वाला हो जा !
मेरा पूजन करने वाला हो जा, और मुझे नमस्कार कर !
ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त हो जाएगा !
यह मैं तेरे सामने सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ !
क्योंकि तू मेरा अत्यंत प्रिय है।

-- साधक संजीवनी टीका से
( स्वामी रामसुखदास जी महाराज)
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ रास गीत 🏵️
ऐसोऽऽऽऽ रासरच्योऽऽऽ वृंदावनऽऽ, ह्वै रहीऽऽऽ पायल कीऽऽ झनकाऽऽऽरऽ
👉पायलऽ कीऽऽ झनकाऽऽऽरऽ, ह्वै रहीऽऽऽ पायल कीऽऽ झनकाऽऽऽरऽ!२
ऐसो रास०
घुंघुरू खूऽऽबऽ, छमाऽऽछमऽ बाजैऽऽऽऽ!२
पाँव में बिछुआऽऽऽऽ, बहुतै बाऽऽजैऽऽऽ!२
👉अंग अंग मेंऽऽ गहना बाजेऽऽ!२, चुड़ियन कीऽऽ झनकाऽऽरऽ होऽऽऽऽ!२
ऐसो रास०
बाजे भाँति - भाँति केऽऽऽ बाऽऽजेऽऽऽ!२
झाँझ पखावजऽऽऽ, दुंदुभीऽ बाजेऽऽऽऽ!२
सारंगीऽऽ औरऽऽऽ, महुवर बाऽऽजेऽऽऽऽ!२
👉बंशी बाजेऽऽऽऽ, मधुरऽ मधुरऽ!२ बाजे वींणा केऽऽ ताऽऽरऽ होऽऽऽऽ!२
ऐसो रास०
राधा मोऽऽहनऽ दै गलबहियाँऽऽऽऽ!२
नाचें संगऽ संगऽ, लेतऽ बलैयाऽऽऽ!२
बयारऽ चलेऽऽ शीतल सुख छइयाँऽऽ!२
👉पीत रंगकाऽ, लहँगा पहिराऽ!२ करेऽऽ सननऽ सननऽ सनकाऽर होऽ!ऐसो
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🏵️ गोपी द्वारा यशोदा मैया को उलाहना 🏵️
सुन री यशोदा मैयाऽऽ !२ तेरा नंदलाऽऽलऽ, कंकरिया से मटकी फोरे !२
👉हायरे दैया ऐसीऽ!२ करे वो धमाऽलऽ,कंकरिया से मटकी फोरे !तेरा नंदलाल०
कान्हा कन्हैया तेरा बड़ा उतपाऽऽऽतीऽऽऽ!२
संग मेंऽऽ ग्वाल-बाऽल खुराफाऽऽऽतीऽऽऽ!२
👉भर दे गगरिया मेंऽऽऽ!२ कंकड़ बुहार, कंकरिया से टंकी फोरे २ तेरा नंदलाल ०

ग्वालों की टोली लेके, चोरी चोरी आऽऽएऽऽ!२
खाए खिलाए दही भूऽऽऽमि गिराऽऽऽऽएऽऽऽ!२
👉अपने कन्हैया कोऽऽ!२ देहु समुझाय, कंकरिया से मटकी फोरे ! तेरा नंदलाल ०

दूध दुहाने गोऽऽशाला जब जाऽऽऊँऽऽऽऽ!२
बछड़े को दूऽऽध पीतेऽऽ तब पाऽऽऊँऽऽऽ!२
👉 बछड़े को खोलकर के !२जाए लुकाऽय,कंकरियासे मटकीफोरे !तेरा नंदलाल ०

छाछऽ दहीऽऽऽ माऽऽखन कोऽऽ बैऽऽरीऽऽ!२
बड़ोऽऽऽ ढीऽऽठऽ, डांटे न डरेऽऽ रीऽऽऽऽ!२
👉ऊँचेऽ छींऽक टाँगो !२ बहुतै सँभाऽऽल, कंकरिया से मटकी फोरे!तेरा नंदलाल०
👉हायरे दैया ऐसीऽऽ !२करे वो धमाऽलऽ, कंकरिया से मटकी फोरे!तेरा नंदलाल०
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🌹श्रीमद्भगवद्गीता 30/04/2025🌹
अध्याय 18 का 63वाँ श्लोक
!! महागोपनीय ज्ञान सुनो !!
इति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्गुह्यतरं मया ।
विमृश्यैतदशेषेण यथेच्छसि तथा कुरु ।।

भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि-- यह गुह्य से भी गुह्यतर ( गुप्त से भी महागोपनीय) ( शरणागतिरूप ) ज्ञान मैंने तुम्हें कह दिया । अब तू इस पर अच्छी तरहसे विचार करके जैसा चाहता है, वैसा कर ।

- साधक संजीवनी टीका से
( स्वामी रामसुखदास जी महाराज )
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🌹श्रीमद्भगवद्गीता 29/04/2025🌹
अध्याय 18 का 62वाँ श्लोक

सम्बन्ध -- अब भगवान् यन्त्रारूढ़ हुए प्राणियों की परवशता को मिटाने का उपाय बताते हैं।

तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत ।
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम् ।।

हे भरत वंशोद्भव अर्जुन ! सर्वभाव से ( मन से ) तू उसी ईश्वर की शरण में चला जा । उसकी कृपा से तू परम् शान्ति और अविनाशी परम् पद को प्राप्त हो जाएगा ।

-- साधक संजीवनी टीका से !
( बाबा रामसुखदास जी महाराज )
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह 29/04/2025

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🌹श्रीमद्भगवद्गीता 🌹
अध्याय 18 का 61वाँ श्लोक -- 27/04/2025

ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति ।
भ्रामयन्सर्वभूतानां यन्त्रारूढ़ानि मायया ।।

हे अर्जुन ! ईश्वर सम्पूर्ण प्राणियों के हृदय में रहता है। और अपनी माया से शरीररूपी यंत्र पर आरूढ़ होकर सम्पूर्ण प्राणियों को ( उनके स्वभाव के अनुसार )
भ्रमण कराता रहता है।

- साधक संजीवनी की टीका से
( स्वामी रामसुखदास जी महाराज )
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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श्रीमद्भगवद्गीता 15/6
न तद्भासयते सूर्यो न शशांको न पावकः ।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ।।
-अध्याय पन्द्रह का छठवां श्लोक

उस परमपद (परमात्मा ) को न सूर्य, न चन्द्रमा, और न अग्नि ही प्रकाशित कर सकती है। और जिसको प्राप्त होकर जीव लौटकर संसार में नहीं आते, वही मेरा परम धाम है।
-- साधक संजीवनी से
( बाबा रामसुखदास जी महाराज )
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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श्रीमद्भगवद्गीता 15/12
यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम् ।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम् ।।

अर्थ :-- सूर्य को प्राप्त हुआ जो तेज सम्पूर्ण
जगत को प्रकाशित करता है, और जो तेज
चन्द्रमा में है, तथा जो तेज अग्नि में है-- ( हे अर्जुन )
उस तेज को मेरा ही जान !
अर्थात् सूर्य, चन्द्र और तोरों में जो प्रकाश है--
वह परमात्मा का ही है।

श्रीमद्भगवद्गीता के पन्द्रहवें अध्याय का बारहवां श्लोक
परम् पूज्य स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज कृत साधक संजीवनी से
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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🌹 देवी मैया का पचरा 🌹
🌹कवनि मैया चुनरी ओढ़ैंऽऽ, कवनि मैया पियरीऽऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽऽ !
करैं सोलहो सिंगरवा हो कि कवनि मैया नाऽऽ२
🙏दुर्गा मैया चुनरी ओढ़ैंऽऽ, काली मैया पियरीऽऽऽ हो कि शीतलि मैया नाऽऽऽ !
करैं सोलहो सिंगरवा हो कि शीतलि मैया नाऽऽ२
🌹कवनि मैया शेर चढ़ैंऽऽ, कवनि मैया हथियाऽऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽऽ !
करैं गदहा की सवरिया हो कि कवनि मैया नाऽऽ२
🙏दुर्गा मैया शेर चढ़ैंऽऽ, काली मैया हथियाऽऽऽ हो कि शीतलि मैया नाऽऽऽ !
करैं गदहा की सवरिया हो कि शीतलि मैया नाऽऽ२
🌹कवनि माई त्रिशूल लेईंऽऽ, माइ खप्परवाऽऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽ !
लेलीं जोड़ा नारियलवा हो कि कवनि मैया नाऽऽ२
🙏दुर्गा माई त्रिशूल लेईंऽऽ, काली माइ खप्परवाऽऽऽ हो कि शीतला मैया नाऽऽ !
लेलीं जोड़ा नारियलवा हो कि शीतला मैया नाऽऽ२
🌹कवनि मैया गोरि बाटींऽऽ, कवनि मैया करियाऽऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽ !
बाटीं अंगिया की पातरिऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽ२
🙏दुर्गा मैया गोरि बाटींऽऽ, काली मैया करियाऽऽऽ हो कि शीतलि मैया नाऽऽ !
बाटीं अंगिया की पातरीऽऽ हो कि शीतलि मैया नाऽऽ
🌹कवनि मैया बेटा दिहलींऽऽ, कवनि मैया बिटियाऽऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽ !
दिहलीं अमर सुहगवाऽऽ हो कि कवनि मैया नाऽऽ२
🙏दुर्गा मैया बेटा दिहलींऽऽ, काली मैया बिटियाऽऽऽ हो कि शीतला मैया नाऽऽ !
दिहलीं अमर सुहगवाऽऽ हो कि शीतला मैया नाऽऽ२
संकलन: उदय प्रताप जनार्दन सिंह

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