किसलिए आस छोड़ें कभी न कभी ! क्षण बिरह के मिलन में, बदल जाएंगे !
*नाथ कब-तक रहेंगे, कड़े एक दिन, देखकर प्रेम आँसू पिघल जाएंगे !
शबरी केवट जटायू अहिल्यादि के ::::!२
पास पहुंचे स्वयं छोड़कर के अवध !२
* गरये घटनाहै सचतो,बताओ हमें !२खुद बखुद आप आ:करके मिल जाएंगे!

दरश देने को रघुबर जी आएंगे जब !२
हम न मानेंगे अपनी :: चलाए बिना :!२
जाने देंगे न हरगिज किसी शर्तपर !२ बस कमलपद पकड़कर मचल जाएंगे !

फिर सुनाएंगे खोटी खरी आप को !२
और पूँछेंगे दे::री:: लगाई::: कहाँ ::!२
* फिर निवेदन करेंगे, न, छोड़ो हमें!२ प्रभुकी झूठन प्रसादी पा पल जाएंगे!२

स्वपन साकार होगा, तभी राम जी ::::!२
जन पे हो जाए थोड़ी::कृपा आपकी::!२
पूर्ण करदो मनो:रथ ये:राजेश का !२ जाने कब प्राण तन से:निकल जाएंगे:!
परम् पूज्य स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज


- उदय प्रताप जनार्दन सिंह