थोड़ा उजाला मिल जाए इस रोशनी को भी,
तो वो भी देख पाए अपने आप को उभरते हुए अंधेरे में।-
UDIT RATHOD
(उदित राठौड़)
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मैं मेरे ही बनाये रास्ते का छोर हूँ।
Joined 1 July 2017
27 JAN AT 14:44
18 JUL 2021 AT 13:46
चला था मैं भी यह कह कर खा लूँगा काँटे सीने पर भी
पीठ अनजान इन सब बातों से, सब से ज़्यादा घायल हुई।
मूड़ के देखा नही थे काँटे, हर नाखून में छुरी देखी
कुरेद रहे थे हाथ वही, अपनो की तस्वीर बुरी देखी।-
18 JUL 2021 AT 11:08
इश्क़ में इस तरह घायल हुए है कुछ लोग
अपने ही ज़ख्म कुरेदना अब पसन्द है इन्हे।-
18 JUL 2021 AT 10:56
बड़ी दूर से आया हूं,
तुम्हारे शहर
चाय तो पूछो!
मरीज़–ए–इश्क़ हूं
मेरा तुम हाल तो पूछो!-