उनकी आँखें दरिया कह दूं
चेहरा कह दूं एक कमल
उनकी जुल्फे रेशम जैसी
उनका हँसना कोई ग़ज़ल
उनके झुमके चाँद के जैसे
चूड़ी में तारों जैसे है
यारो मेरा हाल ना पूछो
उनके बिन हम कैसे है
उनकी यादें एक इबादत
हर दिन पूजा करता हूँ
जब तक उनको याद ना करलूं
काम ना दूजा करता हूँ
उनसे होती सुबह मेरी
उनसे होती शाम है
लब ये नही है दुनिया वालो
मेरे चारो धाम है-
।। दोहा ।।
कैसी है ये आपदा , मिलकर दे सब ध्यान
सकल तीर्थ का फल मिले , करलो थोड़ा दान
मन से भय को त्याग कर , रखना प्रभु पर आस
मन मे सुमिरन राम का , होगा जो अभिलाष
राम नाम का ही सतत , अधरों पर हो साज
राम नाम ही है जगत , राम सवारें काज-
नहलावै , दुलरावै फेर टीका लगावै
काजल लगावै अउ लेती पुचकारी है
संग में सुलावै , अपन दुधवा पिलावै
गले से लगाके , लेती बलिहारी है
बालक जब रोवै , अपन निंदिया भी खोवै
मूतन में सोवै , चाहे रैन अंधियारी है
नहला के ललना का , सारी से पोछे
अइसन या जग मा महतारी होती है-
सिरफिरे आशिक़ को कितना आजमाओगे
करोगे कोशिशें और बार बार हार जाओगे
ये रँगी चुड़ियां लाया तुम्हारे वास्ते मैं
इसे पहनोगे , या इस बार भी नखरे दिखाओगे-
अज़्मत ए इंसानियत अब उतर तो नही गया
जिधर जमाना जा रहा है उधर तो नही गया
अपने ही उसूलों के खिलाफ चल रहा हूँ मैं
मेरे अंदर का आदमी तू कहीं मर तो नही गया-
ये रास्ता अचानक यूँही नही मुड़ा होंगा
कहीं न कहीं किसी की तन्हाई से जुड़ा होंगा
वो शख्स मेंरी कहानी में बुरा है तो क्या हुआ
मेरा किरदार भी किसी कहानी में बुरा होगा-