Udit Mathur   (उदित माथुर)
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Engineer
Music lover
Write to inspire
Poet/writer
Joined 19 January 2018


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10 MAY AT 19:39

तुमसे मिले
तो कुछ धीमी सी होने लगी हैं बारिशें ।

तुमसे मिले
तो दिल में बढ़ने लगी हैं ख्वाहिशें ।

बे-रंग सा चल रहा था वक़्त का सिलसिला ,

तुमसे मिले
तो मेरी राहों को मिलने लगी हैं मंज़िलें ।

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7 MAR AT 10:02

चाँद को देखकर मैं गुनगुना रहा हूँ
ये चाँद कभी उतर क्यों नहीं आता ?

किताबों में लिखा है जिसको कविता सा
वो हक़ीक़त में कभी नज़र क्यों नहीं आता ?

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8 FEB AT 13:35

ख़्वाब में जलती रहीं आरज़ूएँ
ख़ाक कर के खुद को सोया हुआ हूँ मैं ।

लफ़्ज़ सारे अब जल गए
रात की ख़ामोशियों में सोया हुआ हूँ मैं ।

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27 DEC 2024 AT 21:04

ये रंजिशें भी कुछ अजीब होती हैं
लफ्ज़ों में आती नहीं पर दिल में होती हैं।
बात निकली थी मोहब्बत के दरमियां,
अब वो तीर बनकर आँखों में चुभती हैं।

हमने चाहा था सिर्फ एक पल का सुकून
पर ये ज़िंदगी तो ग़मों से गुलज़ार होती है ।
कभी तेरी ख़ामोशी और कभी मेरी ज़िद
हर बात जैसे तलवार की धार होती है।

तूने कहा था कि यहां कोई जीत नहीं
फिर भी कभी-कभी हार ज़रूरी होती है।
इश्क़ में कौन सी बातें और कैसे फ़ैसले
बस अपनी-अपनी रंजिशें जरूरी होती हैं।

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20 SEP 2024 AT 13:16

हर रोज़ का एक सफरनामा होता है ,
ख़ुद से ही हर दिन सामना होता है ।
ज़िन्दगी की तलाश में निकले तो हैं ,
अनजाने रास्तों पर आना-जाना होता है ।

कुछ ख़्वाब टूटते हैं, और कुछ बनते हैं ,
हर पल दिल को यूं बहलाना होता है ।
हर रोज़ इक शिकस्त, इक जीत मिली ,
ज़िन्दगी को ऐसे ही आज़माना होता है ।

हम-सफ़र भी अजनबी सा लगता है ,
खुद का सब हर पल पराया लगता है ।
जीतने की कोशिशों में ही हारते हैं हम ,
हर हार का भी अपना क़ायदा होता है।

हर रोज़ इक गम को मारते हैं यहां ,
और फिर से ख़ुशी का दावा होता है ।
हर रोज़ का इक कारनामा रचते हैं ,
खुद से ही हर दिन सामना होता है।

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24 AUG 2024 AT 11:15

अनिश्चित सा ये सफर
और झरनों से गिरता पानी ,
चट्टानों को चीर कर
जो समंदर से मिलने की ठानी ।

तू रेत में लेती आकार
मैं किताबों में गढ़ता हूँ कहानी ,
समाज से बैरागी हम
हरदम करते अपनी मनमानी ।

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28 JUL 2024 AT 12:36

ज़िंदगी के हर मोड़ पर, ये कोशिशें जारी हैं ,
हर हार के पीछे छिपी, अब जीत की तैयारी है ।
मुश्किलों से लड़ेंगे हम, ये इरादा पक्का है ,
न थकेंगे, न रुकेंगे हम, ये वादा भी सच्चा है ।
अंधेरों में भी जलाएंगे, हम दीया उम्मीद का ,
ना बनेंगें हम कभी, हिस्सा हार की भीड का ।
चलते रहेंगे राहों पर, चाहे हो कितना भी अंधेरा ,
हर कदम पर पाएंगे, मंजिल का एक नया सवेरा ।

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7 JUL 2024 AT 22:23

तेरी आँखों की गहराई में खोया हूँ ,
जैसे सागर की गहराई में रेत रहती है ।

तेरे लबों की इन खामोशीयों में ,
जाने कितनी बातें अनकही सी रहती है ।

जब तू मुस्कुराए तो नूर सा बिखरता है ,
जैसे चाँद से लिपटी चाँदनी रहती है ।

वो झिलमिल रौशनी की तरह है तू ,
जो सितारों में सदा चमकती रहती है ।

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30 MAY 2024 AT 12:47

शराब का जो ये कहर है
महफ़िल में सभी पर बरसा होगा ,
कितनी पी लूँ और कितनी छोड़ दूँ
ये हर दिल का मसला रहा होगा ।
जिसने खूब शराब पी ली थी,
भला अब वो नाम किसको याद है
जिसने शर्म के मारे छोड़ दी थी
दिल तो उसका भी तरस रहा होगा ।

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17 MAY 2024 AT 23:49

चलो आज फिर से, बात कुछ नई कहें,
वो हसरतें जो दिल में हैं, खुलकर उन्हें सहें ।

बेखबर रातों में, चांदनी का जश्न मना कर,
इन खामोशियों में, एक नया गीत लिखें ।

चेहरे पर मुस्कान लिए, दिल में उमंग भर कर,
दर्द की बातें छोड़, खुशियों का सफर कर लें ।

हर एक लम्हा कहे, जिंदगी इसी का नाम है,
आज मौका मिला है, चलो जी भर के जी लें ।

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