बस खुद की आंखे नम देखी है
तूने दुनिया बड़ी कम देखी है-
एक बार तो एक दिल का कहा मान लीजिए
आकर फिर मेरा हाथ थाम लीजिए
कहना था जो वो कह दिया इन आंखों ने
अब चुप रह कर न हमारी जान लीजिए
एक बार तो इस दिल का कहा मान लीजिए
कुछ कह रही है तुम्हारी निगाहे
इन्हे उठा कर इनका कहना मान लीजिए
यू तकते रहते है तुम्हे जो
इसे हमारी सजदे की इबादत मान लीजिए
इल्जाम तो सारे हम पर है
अब इन इल्जाम की सजा दीजिए
एक बार अपनी मुस्कुराहट का
इस बेखबर को भी इनाम दीजिए
ऐसे चुप रह कर ना हमारी जान लीजिए
एक बार तो इस दिल का कहा मान लीजिए-
अनेक इत्र डाले उसने कपड़ों पर
मगर उसके किरदार से बदबू फ़िर भी आती रही।
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हम तो फ़लक पर चांद देखन आए थे
हमे क्या पता था एक चांद छत पर भी है।
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हा मान लेंगे दुश्मन तुझे
बस मित्र कर्ण सा चाहिए।
पूरी कविता पढ़ने नीचे कैप्शन मै पढ़े 😅-
इश्क़ उसका कैसा मंजर दिखा रहा है
मेरा हक किसी और के दर्जे में जा रहा है,
आंख उठती नहीं मेरी उनकी तरफ़
और कोई उन्हें घूर कर देखे चला जा रहा है।-
ये तेरे चेहरे की ये मुस्कान,
ये तेरे होठों का ये रंग,
ये मासूम सी तेरी बाते,
ये अपनी अनजानी मुलाकाते,
ये ज़ुल्फो का तेरा गिरना,
ये मुझसे हर मोड़ पर यू मिलना,
ये तेरे सासो की वो गर्मी,
ये तेरे बाहों की वो खुशबू,
ये मिलती अपनी नज़रें,
ये खिलता हुआ ज़माना,
ये मुझे देख तेरे दिल का धड़कना,
ये तुझे देख मेरी सांसों का यू रुकना,
ये आंखो ही आंखो की बाते,
ये दूजे के लिए इबादत कर आते,
ये तेरी उंगलियों का यू छूना,
ये में तेरा सिर्फ हूना,
ये छोटे छोटे से झगड़े,
ये चुप चुप कर रोना,
बस यही तो सच हैं,
बाकी दुनिया तो एक कहानी
मुझमें तेरी और तुझमें मेरी बाकी पूरी ज़िन्दगानी हैं-
कुछ गलतियां मेरी है माफ़ करना
थोड़ा सा अपने नजरिए को भी साफ करना
मै कुछ गलत कर दू अगर.....२
तो में एक पागल हूं समझकर नजरअंदाज करना।
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ता उम्र भटका कुछ बनने को
हम यू ही मुसाफ़िर बने रहे
बचपन कहा गुमा पता नहीं
ज़िंदगी की गुलामी करेे रहे
ना वक़्त था कुछ करने का
दो पल की आहे भरने का
दिन कब बिता पता नहीं
वक़्त नहीं था मारने का
हम यूहीं ज़िन्दगी गवा बैठे
ज़िन्दगी को बनाने में
हम यूहीं मुसाफ़िर बने रहे
ज़िन्दगी के मयखाने में।
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