Uddeshya Dubey   (Avdhoot)
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Joined 31 October 2018


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29 JUN AT 22:24

मै जब थक जाऊंगा
कोशिशों को अंजाम देते देते
उस दरख़्त की छांव मे
आराम लेंगे दरिया के किनारे

जहां कई साल पहले
मिले रहें थें हम तुम

मलाल ये नही की तुम हुए नही हमारे
दुख इस बात की रुखसार मुड़े नही तुम्हारे

तुम्हारे पांव से लग कर
अब भी सूरत मिट्टी की

वो किनारा वो लहरे वो पानी और घांस
सब के सब आज भी तरो ताज़ा हैं

मै मिलूंगा उनसे और बताऊंगा
थे क्या सितम न जाने कि वो हुए नही हमारे

और कागज़ पर उकेरी हुई तस्वीर दिखाकर
दरिया को कह दूंगा की मिटा दे
अपनी लहरों को और भी इक सदा दे

और रात भर मयस्सर तुझे मिटाता बनाता रहूंगा

हां मै दरिया के किनारे...

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6 FEB AT 7:38

पर कुतर डाले पक्षियों ने
सुगबुगाती आग की इन लच्छियों ने
कहां कितने झोपड़ों को रौंद डाले
रोशनी के राग जो थें फूंक डाले

रोटियां पकती नही चूल्हों मे अब
है सहन शक्ति नही कूल्हों मे अब
यूं अंधेरे झोपड़ों मे नजर अब कौन डाले
धूप से जलती उम्मीदों मे शजर अब कौन डाले

रोज़ आती बेबसी का क्या
भूख से लिपटी हँसी का क्या
ठंडे चूल्हे को सदन मे कौन डाले
रो रही किलकारियों को कौन आए चुप कराने

रोती कहानी को सुने कोई भी कैसे
क्रुद्ध ग़मगीनो के दुखड़े सहे कैसे
यूं सियासी देश मे कोई भी कैसे खून डाले
देश की जनता ने अपने वोट तक भी बेच डाले

रोज की कड़ियों को मटियामेट करके
बेईमानी को अदब से सेट करके
रोशनी बुझते दियों मे कौन डाले
रोशनी के राग जो थें फूंक डाले

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21 DEC 2024 AT 22:49

मेरी जिन्दगी मे जाना... नया कुछ भी नही
ग़मो से गिला भी नही.. कि गया कुछ नही
आशनाई के गिरफ्त दिल को सजाएं मात दें
बचाने खाक आए क्या जब बचा कुछ नही
जज़्बातों का अजब सिलसिला संजोए हम
यहां तो राख ही राख है आग कुछ भी नही
बे दिली बे मुरब्बत मौत के जानिब से यहां
मौत कुछ भी नही तो जिंदगी कुछ भी नही

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16 AUG 2024 AT 9:04

आज़ादी में गांधी थें, नेहरू थें सरदार अशफ़ाक, हमीद, भगत, चंद्रशेखर थें,
बादशाहत मुगलई, झांसी की वीरांगना, तात्या का शौर्य, नाना का साहस था,
लाल थें, बाल और पाल थें,
बेगम हजरत महल, मौलाना कलाम, सुखदेव, बिस्मिल राजेंद्र प्रसाद थें,
चुआड़ ,संथाल , कोल, भुईहार भी थें, वीर बहादुर बिरसा मुंडा थें,
उधम हरनाम भगत लाजपत कूका वीर लहना सिंह थें
जाट करतार सिंह सराभा नीरा सिपाही रानी झांसी थी
ब्रह्म भी था बल भी क्षमता भी कार्य कौशल भी
हिंदुत्व की प्रबल भावना कभी न थी न ही भगवा रंग प्रबल था,,, था भगवा लेकिन तिरंगा
था धर्म केवल भारतीय
नारा एक ईश्वर एक केवल तरंगा
तिरंगा कर्म, तिरंगा ही धर्म, तिरंगा ही जातियां थी
तिरंगा हिंदू तिरंगा मुस्लिम तिरंगा पूरा देश था....

सब की आजादी में सब ने भाग लिया था।

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24 JUL 2024 AT 21:56

नित नई नई सुरतो के हिसाब दे
नकाबो के बदले नकाब दे

यानी कि तू रंग बदलने में है माहिर
तो यूं कर की सच्चाई को नकार दे

ऐसा लगे जो तुझसे मिलूं
की मिला हुं इक अजनबी से
राज खुलने न पाए अपनी बनी बिगाड़ दे

बना तू बुत आशनाई के पहले फिर उजाड़ दे
नित नई नई सुरतो के हिसाब दे

के कितने चेहरे लगा के फिरता है तू
ये फन ये हुनर कहा से लाता है तू
मुश्किल है मिलना तेरे जैसा कोई
ऐसे जाबाज करिश्में दिखाता है तू

खुदा को मान उसे पुकार ले
उसके रहमो करम की गुहार दे
लगा ले आग ज़ख्मी सूरत पे
तू इक नई सूरत सवार दे

और यूं की तुझे लगता है
की मरेगा नहीं
तो सबसे पहले इस गवाही को नकार दे
अपनी शख्सियत संवार ले..

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28 APR 2024 AT 11:15

अर्से बाद तुम्हे सोचा तो सोचा ये
कि तुम्हारी आवाज फ़ोन पर अगर सुनूं
तो पहचान सकुंगा अभी भी क्या...

तुम्हारे शब्द जो कैंची बने
कुतरते चले हालातों जज्बातों को जानते हुऐ
तो सोचा ये कि भूला सकूंगा अभी भी क्या...

यहां कुछ फूल रखें थे जो गमले मे सजाने थे
उनकी खुशबू चली गई और
कुछ सपने जो आंखों मे पिरोने थे उनमें रौनक नही रही..

मेरा सफर जो गुजरने वाला है जंगल से दरख़्त देखता है तो डर जाता है
और ये परिंदा जो शाख पसंद है बैठता है उजड़ जाता है..

नया नही उजड़ना बनना
यही हर बार होता है
कुछ पाने के सौदे में राही क्या कुछ खोता है..

पीछे छूटे रस्तों के आगे
जो भी मिलता उसी को अरमान समझने लगता है
ये मन भी कितना चंचल है टूटते तारे को संसार समझने लगता है..।

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12 JAN 2024 AT 22:37

समस्त मर्यादाओं का खण्डन किया जा रहा है,
फिर भी भारत का युवा हिंदू हिंदू चिल्ला रहा है
राम शक्ति हैं भक्ति हैं प्रेरणा के स्त्रोत हैं यद्यपि,
राम को हि राजनीति का पात्र बनाया जा रहा है

उठो जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको नहीं
लक्ष्य को सामर्थ्य का ध्येय बताया जा रहा है
कलिकाल में बालक नरेन्द्र की बात करने वालो
तुम्हारे बालकों से चुनावी जुलूस सजाया जा रहा है

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3 DEC 2023 AT 23:42

Dhokhadhadi k iljam lgane Wale
Pyar kanto k lafzon mein batane wale
Nam bulandi k katre me sama jayenge
Sabse behtar h badnam batane wale

Isi umeed ne jinda rakha h ab tak
Ham hanth dhundh lenge bachane wale

In dinon ye udasi bhi ajeeb chhayi h
Itne tanha nhi the roshni bujhane wale

Ham haqiqat se rubaru huye bhi to kya
Hanth apne hi the ghar ko jalane wale

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9 SEP 2023 AT 23:07

आज दो वर्ष बाद योरकोट ने हमारा एकाउंट अनब्लाक किया है, एक लम्बे अरसे बाद कुछ लिख कर पोस्ट कर पाया हुं।
शेष, धन्यवाद।

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8 SEP 2023 AT 22:29

नीति विभीषण कहती है पापी से हांथ छुड़ाना
विदुर नीति ये कहती देश धर्म पर बलि बलि जाना

कुंभकरण ने भ्रातृ प्रेम में अपना शीश कटाया
कुरूपुत्रों ने भी अपना रण कौशल दिखलाया

एक अधर्मी भाई के पीछे कौरव कुल विध्वंस हुआ
एक जगतपापी ने सब कुछ खण्ड विखण्ड किया

और एक परम सामर्थ्यवान जब सारथी बन जाता है
तब अन्धकार का हो विनाश नव सूर्य उदित हो जाता है

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