Uday त्रयम्बकं   (Uday त्रयम्बकं)
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Joined 14 November 2017


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Joined 14 November 2017

तेरी सोहबत में आये
तो क्या बात थी,

हाय वो जो खुशी
जो तेरे साथ थी,

ख़ुदको तेरा किया,
सबको रुस्वा किया,

हमने ख़ुदा की जगह,
तेरा सजदा किया,

ज़िन्दगी मेरी थम ही गयी है,
किस गुनाह की सज़ा मिल रही है,

फिर भी तुझसे शिकायत नही है,
बस मेरी अब हिदायत यही हैं,

कोई पूछे अगर तो
तू कहना यही,

कि मुझे तुझसे मुहब्बत नही है,
अब मुझे तेरी ज़रुरत नही है !

बेवफ़ा मुझको बताना,
और कहना
मेरे हक़ में मुहब्बत नही है,



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अर्धांग्नी

परन्तु प्रेमी भूल जाते हैं
कि जो प्रेमिका प्रेम में
असफल हुई होती हैं
असल में वो लड़की ही होती है,
आपके प्रेम को सफल करने
की प्रबल दावेदार (शीर्षक में पढ़े)

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2222 2222 1212 22
मन में शक हो जाये पैदा, तो "वहम" नहीं जाता
रहता जब तक रिश्ते को, कर ख़तम नहीं जाता

कि "वहम" ने दफनाये है बहुत बार ये रिश्ते
खुद की मरजी से दूर भला सनम नहीं जाता

जो घूमा करता था तेरे संग, तमाम गलियों में
अब वो घर के भी बाहर दो कदम नहीं जाता

कुछ तो बेवाजिब और फकत बुरा हुआ होगा
वरना कोई इस हद तक तो सहम नहीं जाता

तेरी असली शक्ल दिखाई उदय ने जब से, अब
लोगो का भोली सूरत पर रहम नहीं जाता

- उदय "Trayambakam"


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२२२२ १२२१ २१२२

इक तो तुमको गुरूर-ए -हुसन बड़ा है,
गर है भी तो समझ लो भरम बड़ा है !

तुमने लिया नहीं क्या हाल उसका
तुम्हारे बाद से वो गरम बड़ा है !

पूछा कैसा है ? उसका ए ! हाथ शायर,
कुछ खास नहीं, कि बस वो नरम बड़ा है

जाना मैंने सुना तेरा वो हरम बड़ा है ?
तो जाये ना जमी पर क्यूं खड़ा है !

ग़ैर मुसलसल शेर -

वो पूछे, कौन सा "उदय" धरम बड़ा है
अनजां को कह इंसा, वो धरम बड़ा है "

उदय "Trayambakam"

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बेटा आया नहीं उस घर में पांच साल से,
जिस में बाप की जवानी और जमाना लगा,

दीवाली पर उसके आने की ख़ुशी सुन,
बूढ़ी मां की ख़ुशी का ना कोई ठिकाना लगा,

बाप हैरान और मां फ़िर से खिल उठी थी,
बेटे के आने का हर हरफ, उन्हें तराना लगा,

बेटा आया और घर के खरीददार साथ लाया,
क्यूंकि उसे वो घर बिकने लायक, पुराना लगा,

बाप ने कहा "उदय" हम ख़ुश है अपने हाल पर,
ये घर है, तो बेहतर है कि ना इसका बयाना लगा,

मुझे मालूम था कि तेरा आना तेरी कोई चाल है,
पर तेरी मां को तेरा आना, सचमुच में आना लगा,

ये अभी जाएगा लौटकर वापिस शहर अपने,
मुन्ने की मां, तू मुन्ने के लिए अब ना खाना लगा...


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गर ऐसा हो कि, आप एक रोज़ बीमार रहे,
आपको दवा नहीं, दुआ की दरकार रहे,

आपके भाई, यार , दिलरुबा ना हो कोई,
सब आपसे उस वक्त के लिए दरकिनार रहे,

सब हो जाए आंखो के सामने ओझल,
किसी और से नहीं, ख़ुद से ही तुम हार रहे,

मां आए और बस बोले "कि अब उठो बेटा"
किस लाल में है दम जो "अब भी बीमार रहे !"

मैं जीत लेता हूं ये जहां सारा 'उदय'
जब मां कहती है "जीता रह ! जीत का तू हकदार रहे,

अभी वो तुम्हारे पास है तो कदर करो उसकी,
जाने के बाद उसके, भला तू किसका राजकुमार रहे....

तू किसका राजकुमार रहे,
कि फ़िर तू कभी बीमार रहे.. - uday trayambakam


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मुसाफ़िर हूं सादिक भटकना काम है मेरा,
मोहब्बत वजू मेरी रूह का, आशिक़ नाम है मेरा

पल भर की रंगत के लिए मुझे यूं न छेड़ 'यारा'
छिड़ जाने के बाद, रंग-ए-कलम बेलगाम है मेरा,

होने चाहिए इस कदर इंतजामात दुरुस्त तुम्हारे,
कि महफ़िल के खात्मे तक भी भरा रहे ज़ाम मेरा,

राज़ आे राब्ते खोलो, अपने कपड़े खोलने से पहले,
इस हवस के चलते, हुआ है लोगो से रिश्ता हराम मेरा,

एहतराम से मुझे मांगो तो 'मोल' राम नाम है मेरा,
औकात से चाहो "तो घराने बिक जाए" वो दाम है मेरा,




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मेरी सारी नफ़रत, एक तरफ
उस की इक ही हरकत, एक तरफ...

मेरे साल की मेहनत, एक तरफ
उसकी नज़र की बरकत,एक तरफ...

मेरी सारी दौलत, एक तरफ
उसके दो पल की मोहलत, एक तरफ...

लो आज फकत, मैं एक तरफ
और रही फकत,वो एक तरफ़....


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पैर पटकना, और उसको अपनी शान समझना
दो सिक्को के दम को अपनी पहचान समझना,

करना तमाम गलतियां, फिर भी यारा,
ऊपरवाले को तेरा, अपना निगेहबान समझना,

खो दिया है तूने, उसको करके वो काम गलत,
गर मिले माफ़ी, तो उसको भी एहसान समझना

गलती तेरी थी यकीनन इस खेल ए इश्क़ में,
उसके जां कह लेने भर से, तेरा उसको जान समझना,

लाज़िम था उसका तुझको यूं ठुकरा देना, "गलत था"
"उदय" तेरा, उसकी हर बात को फरमान समझना

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तेरे जाने को जाना देख, कितने साल है गए,
पर यकीं मान तेरे बाद, जितने गए बद-हाल है गए,

हिज्र के बाद अभी तक ना होश आया है मुझे,
और रकीब बताते है, कि तेरे दिन तो कमाल के गए,

पलो को ना अपने इख़्तियार में कर सका मैं,
तेरे बाद भी कितनी दफा,वो मुझे ख़ुद में ढाल के गए,

होशवालो और अपनों ने ना ली, ख़ैर भी मेरी,
और यहां मयकदे में अंजान भी मुझे सम्भाल के गए,

दिन बिताता था, रात काटनी पड़ती थी मुझे,
कितनी होली हाथ मेरे "उदय", बिना गुलाल के गए..

- उदय त्र्यम्बकं

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