कभी तुम्हे
अहसास हुआ
राह चलते,आईना देखते,कुछ लिखते
कि जितने सहज हो तुम,उतनी सहजता से
ये दुनिया तुमसे नही मिली कभी
या फिर
जितने सहज हो तुम अपनो के लिए
उतनी सहजता क्यों नही है उनमें,तुम्हारे लिए;
लोग आते हैं
हंसते हैं,बोलते हैं झूठी बातें
और जानते हुए भी तुम्हारे दुःख नजरंदाज कर,
सुनाते जाते हैं अपना दर्द;
क्या पाप सोचा होगा उस खुदा ने इनके लिए
जो अवसरवाद जेब में लिए घूमते है
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