एक झूठी कहानी
जिसका शीर्षक था गरीब
जिसमें था गरीबी को बेचने का नायाब तरीका
उस कहानी का नायक कहता है–
मैं गरीब था, भूखों सोना पड़ा, वर्षो भिक्षा मांगी,चाय बेचा...
जैसी अनगिनत मनगढ़ंत कहानियां बुनता गया
उसने बेची
अपनी झूठी गरीबी
हर अखबार,चैनल,शहर,
जिला,गांव,मोहल्ला, वॉट्सएप,
लोग और लोगों के दिमाग तक;
गरीबी ऐसी
कि बचपन की तस्वीर सूटबूट में दिखी
गरीबी ऐसी कि भिक्षा मांगकर घूमा दुनिया का हर महंगा शहर..
पहने लाखों के चश्में और सूट..
गरीबी ऐसी कि
उसे अब नही दिखता
किसी गरीब का दुःख, दर्द
जवान हुए भारत की बेरोजगारी,लाचारी,युवाओं के मरते हुए सपने...
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