उम्मीदों से दूर होकर भी उम्मीदों पर खरा उतर पाया है
ये अपने हिस्से का पूरा असर दिखाया था
जिसने तुम्हे अपना मान कर , तुम पर हक जताया है
वो...जो बुरे वक्त में तुम्हारे बहुत काम आया था
दरारें अक्सर बड़े से बड़े मंजिल को मिट्टी बना देता है
तुम्हे तुमसे जुड़े रिश्तों के बारे में तुम्हें हर बार ही समझाया था
वो बहुत खयाल से...रखता था ख्याल जिसे अपना लेता है
पर उसका कोई अपना होता नही ये बातें तुमसे भी बताया था
तुम खुद गवाह हो इस बात का, के तुम्हारे तन्हाई में, अकेलेपन में
उसका ख्याल तुम्हारे जहन में रहता था
अब गर दूरियां हैं दरमियान तो खुश रहो तुम
आशु जिसका रहता है बस एक बार ही रहता है
कितनी मर्तबा तुमसे यह बात कहता था
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