जिन रास्तों से होकर गुजर रही है जिंदगी मेरी
उस राह से गुजरेंगे जब लोग तो
आंखों में अश्क खुद ब खुद सज जाएंगे
ये जो कहते हैं जिंदगी नाम इसी का है
उनकी जिंदगी इस तरह से जब कभी लड़खड़ाएगी
वो मेरी बातें बखूबी समझेंगे
और खामोशियों में मेरी
बिन कहे मेरे गले लग जाएंगे
कहते हैं ना के समंदर गहरा बहुत हैं
पर यकीन मानो
समंदर को बहुत कम महसूस होगी गहराई उसकी
जिस दिन हम खुद डूबने पर उतर जायेंगे-
☞ When My Feelings Allow Me �... read more
उम्मीदों से दूर होकर भी उम्मीदों पर खरा उतर पाया है
ये अपने हिस्से का पूरा असर दिखाया था
जिसने तुम्हे अपना मान कर , तुम पर हक जताया है
वो...जो बुरे वक्त में तुम्हारे बहुत काम आया था
दरारें अक्सर बड़े से बड़े मंजिल को मिट्टी बना देता है
तुम्हे तुमसे जुड़े रिश्तों के बारे में तुम्हें हर बार ही समझाया था
वो बहुत खयाल से...रखता था ख्याल जिसे अपना लेता है
पर उसका कोई अपना होता नही ये बातें तुमसे भी बताया था
तुम खुद गवाह हो इस बात का, के तुम्हारे तन्हाई में, अकेलेपन में
उसका ख्याल तुम्हारे जहन में रहता था
अब गर दूरियां हैं दरमियान तो खुश रहो तुम
आशु जिसका रहता है बस एक बार ही रहता है
कितनी मर्तबा तुमसे यह बात कहता था-
खुशी होती थी अपनो के होने से मुझे भी
अकेले में तन्हाइयों यूं ही नहीं रहती साथ मेरे
अब कोई अपना है भी मेरा...ऐसा जताता नही कोई
हमने की जिस से भी , दिल खोल के की
चाहे बातें हों या हो मुहब्बत
लेकिन चेहरे से कुछ और बातों में कुछ और
अक्सर ऐसा ही रहा सब में
असलियत अपनी , सिवा मेरे बताता नही कोई
करता था मैं भी शिकायतें बहुत
खुदा से मेरी भी अक्सर बात होती थी
मगर
बीत गया एक अरसा बात किए हुए उस से भी
शायद वजह यही है के
उतनी शिद्दत से अब मुझे सताता नही कोई-
सोचा तो बहुत कुछ था जिंदगी में
पर उलझा रह गया जिन्दगी के सवालों में
किसपर लगता तोहमतें
मैं अपनी बर्बादीयों का
अपने हादशों का तो मैं इकलौता गवाह था
पर अफसोस.....
उस हादसे के बाद मैं मैं ना रहा
थक जाता हूं खुद को ढूंढते ढूंढते जब
तो डूब जाता हूं बीते ख्यालों में
डरा हुआ मायूस सा मिल जाता हूं मैं
सुलझाए हुए जिंदगी के सवालों में
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Kayi Khwabon Se Guzar Kar Jaate Hain Ham
Yeh Shayariyaan Yun Hi Nahi Laate Hain Ham
Sacchayi Jaisi Koi Baat Nahi Ab Baaki Ham Me
Har Roz Yun Hi Nahi Muskurate Hain Ham
Mana Kahaniyon Ke Kirdaar Nahi Ham
Par Kayi Kahaniyaan Guzari Hain Ham Se Hokar
Ye Bewajah Logo Ka Marz Nahi Batate Hain Ham
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होता अगर बस में मेरे
तो तुम्हे यूं भूल जाता
लोग देते मिसालें मेरी ही
में तुझसे कुछ यूं दूर जाता-
Ik Kaali Raat Ke Baad Phir Ek Nahi Suruaat Huyi Hai
Kisi Ke Hisse Me Khushiyon Ki Barsaat Huyi Hai
Jahan Wo Rakhe Paanv Wahin Se Ho Jaate Hain Kaam Bigde Bhi
Maano Chalti Phirti Duaon Ki Saugaat Huyi Hai
Wo Dil Ki Muskurahatein Hai Jo Dikh Nahi Rahi Chehre Se
Bas Samjho Yun
K Kisi Bezubaan Ki Aaj Kisi Se Bahut Lambi Baat Huyi Hai-
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wÔa p[ayaÙa Ãe Cn[Cna kà a Àôav{aÄa Ïae-
Wo Jo Nikal Gaya Hai
Bana Kar Duriyaan Mujhse
Use Bata De Koi
Mere Khwabon Me Aana Bhi Chhod De-
Jeete Jee Nahi De Paate Log Jise
Mai Akasar Sukoon Deta Hu Use
Mujhe Nahi Maaloom Mera Thikana
Logo Se Suna Hai Ke Samshaan Hu Mai-