खोने में तुम्हें इतने मशगूल थे, कि तुम्हें पाने का एहसास भूल गए। साँसे थाम रखी थीं इस क़दर, कि तुम बिन जीने का अंदाज़ भूल गए।। - ओस
खोने में तुम्हें इतने मशगूल थे, कि तुम्हें पाने का एहसास भूल गए। साँसे थाम रखी थीं इस क़दर, कि तुम बिन जीने का अंदाज़ भूल गए।।
- ओस