तुम हुए तो हम हुए कि मुक्कमल हुए,
जिंदगी में सुकून के साज़ भर गए कैसे कैसे।-
कुछ लम्हों का ही फासला था तेरे मेरे दरमियाँ,
और धीरे धीरे लम्हें सदियों में तब्दील हो गए।।-
दिल पर वक़्त की जमी धूल, पत्थर सी हो चली है।
तेरे जाने के बाद, जो कोई इसपर हाथ नही फेरा करता।।-
वादा था,
तुम आँखों से बताना, हम समझ जाएंगें।
जो न समझे, ये हमारी समझ पर सवाल है।
वादा था,
तुम हल्की सी शर्माना, हम तेरे हो जाएंगे।
जो न हुए तेरे, ये मेरे वजूद पर सवाल है।
वादा था,
हम खामोशी पढ़ लेंगे, अगर तुम चुप रहो।
जो न पढ़ सके, ये मेरे जज़्बातों पर सवाल है।
वादा था,
तुम इशारों मे बताना, हम मंज़िल ढूँढ़ लाएंगे।
जो न ढूँढ़ लाए, ये मेरी मुसाफिरी पर सवाल है।
वादा था...-
हम अपने सवालों से मुंह मोड़ आए हैं,
अपने ख्यालों को पीछे छोड़ आए हैं।
छोड़ आए हैं अपने सुनहरे लम्हों को,
अपनों के लिए, सपनों से नाता तोड़ आए हैं।।-
कब तक सावन की आस मेँ यूँ दिल सम्हालेगें,
इस इन्तेज़ार में तेरी यादों का झरोखा सूख न जाए।-
कोई इक बाग था कहीं,
जहाँ इक क्यारी मुझे मानती थी।
हर भौंरा वहा जानता था मुझे,
इक कली मुझे पहचानती थी।।-
अब न वो बातें, न रातें, न मुलाकातें रहीं।
तुम्हारी गैर-मौजूदगी किस्से मिटा गई कैसे-कैसे।।-
प्यार, वफा, ईमान, जहान।
क्या-क्या थे और रहोगे मेरे लिए।
जिंदगी के हर मुस्कुराते लम्हे का,
राजदान रहोगे मेरे लिए।।-
बन गए हैं तो सम्हाल कर रखो,
रिश्ते दरख़्तों पर नही मिलते।
कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं दुनिया में,
जिन्हे रिश्ते बनाने के मौके भी नही मिलते।।-