भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं,
सागर इसके पग पखारता है।
यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम जियेंगे तो इसके लिये
मरेंगे तो इसके लिये।-
Instagram - @tushaaar_khandelwal
दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते
-
दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक
आज़ादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥-
जीवन है,
चुभता है, दर्द होता है,
परेशान होते हैं पर,
इसमें न तो काँटों का दोष है,
और न ही आपका,
क्योंकि यह तो नियति है,
उसने जैसा बनाया है,
उसी को सँवारना है,
किसी के पैर में चुभना है,
या किसी जगह को सजाना है,
जीवन आपका, मर्जी आपकी-
और अच्छी होती है ये सारी कायनात,
अच्छी होती है ये सारी दुनिया,
और सबसे अच्छे होते हैं आप-
Great design comes from interaction, conflict, argument, competition and debate.
-
कभी बदला नहीं,
अगर कुछ बदलता है,
तो वह हैे दुनिया को देखने वाले का,
उसके प्रति नजरिया
जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि-
परंतु कोमल होती है,
ठीक वैसे ही जैसे कि
गुलामी के घी से अच्छी,
आजादी की घास होती है,-
भी बड़ी लाजवाब होती है,
तन्हाई में सुकून और,
सुकून में तन्हाई ढूँढ लाती है,
ये दिल की ख्वाहिशें ही तो है,
जो दिल को दिल बनाती है-