वो राम की जो जन्में तो गूंजा।
परगट भए कृपाला,,,,,
वो राम की जिनकों अचल निहारे।
सबसे तेज उजाला,,,,,,
वो राम की जो पढ़ अल्पकाल में
गुरुगृह जा करें निहाला,,,,,
जो राम की जिसने मैभाइच्छा को
सर आँखों मे रखपाला,,,,,
हाँ!वही राम जो भाई की खातिर
वनगामी हो जाए......
हाँ!वही राम जो मानव होकर
अंतर्यामी हो जाए.....
हाँ!वही राम जो केवट को
अपना सखा बनाए।
हाँ!वही राम जो मर्यादा को
मर्यादा सिखलाए।
कोई बतलाए!क्या फिर से,वही मुकाम आने को है?
उस रोज़,वहाँ, हाँ!उसी जगह क्या वही "राम" आने को है?
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