Tushar Bebarta   (❤️ DJ Tushar)
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Joined 5 January 2018


Joined 5 January 2018
3 AUG 2022 AT 8:22

उन्हें कुछ कहने की
जरूरत नही होती
बिन कहे ही समझ लेते हैं वो
दिल के सारे ज़ज़्बात
जो क़रीब होते हैं
उन्हें पता होता है तुममे
कमी क्या है
वो स्वीकार करते हैं तुम्हें
तुम्हारे हर कमी के साथ
जो क़रीब होते हैं...

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18 JUL 2022 AT 22:17

स्याह साड़ी
सुरमा निगाहें
गोरा गोरा रंग
क़ातिल अदायें
बातें ऐसी
जैसे कि ख़ुश्बू
आँखें ऐसी
जैसे काला जादू
जो पल में ही
अपना बना ले
पल में ही गैर करे
ख़ुदा ख़ैर करे

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21 MAR 2019 AT 20:42

ज़िंदगी तो नही
लेकिन ज़रूरी है
ज़िंदगी के लिए...

प्यार
हर ख़ुशी तो नही
लेकिन ज़रूरी है
हर खुशी के लिए...

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2 AUG 2020 AT 9:28

वक़्त मिलता नही दुश्मनी के लिए
एक ही काफी है दोस्ती के लिए

ज़ख्म जितने मिले दोस्तो ने दिए
कौन करता है इतना किसी के लिए

इश्क़ मे दर्द है, दर्द मे शाइरी
इश्क़ करता हूँ मैं शाइरी के लिए

जाम, सिगरेट से क्या है मेरा वास्ता
ग़ज़लें लिखता हूँ मैं बेख़ुदी के लिए

बस इसी वास्ते इश्क़ मैंने किया
चाहिए था कोई बंदगी के लिए

इश्क़ कोई करे फिर बताये मुझे
क्या ज़रुरी है फिर ज़िंदगी के लिए

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29 JUL 2020 AT 12:02

उसके ज़ुल्फ़ों मे है मोंगरा की महक
और हाथों से आये हिना की महक

खिलखिलाए वो जब वादियाँ खिल उठे
मुस्कुराए तो आये हया की महक

मुश्किलों में मुझे हौंसला देती है
उसका होना है जैसे ख़ुदा की महक

बातों में उसकी यूँ तल्खियाँ है बहुत
ख़ामुशी मे मगर है दुआ की महक

कह दूँ कैसे उसे बेरहम, बेवफ़ा
उसकी आँखों से बरसे वफ़ा की महक

गाल का भीगना अब भी अव्वल ही है
बाद उसके कहीं है धरा की महक

देखो झूठा सहीं पर ख़फ़ा ही रहो
अच्छी लगती है तुमपे ख़फ़ा की महक

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26 MAY 2020 AT 16:48

तेरे बिन है ग़मगीन ये ज़िन्दगी मेरी
कि इक तुझसे ही तो है हर ख़ुशी मेरी

मैं तेरे लिए तुझको भी छोड़ सकता हूँ
कुछ ऐसी है तेरे लिए आशिक़ी मेरी

अंधेरा है चारों तरफ जो ख़फ़ा है तू
कि तुझसे ही वाबस्ता है रोशनी मेरी

मैं तेरे बिना भी तेरे साथ रहता हूँ
तुझे दूर करती नही बेख़ुदी मेरी

तुझे है हक़ बरसों तक नाराज़ रहने का
बस दो चार दिन की है नाराज़गी मेरी

अगर ये तेरे रूह में रह नही पाई
तो किस काम की है सनम शायरी मेरी

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23 APR 2020 AT 16:34

वो सब दर्द लिखें है उसमें
कह न पाये वो जिसे
उस किताब के पन्ने पन्ने में
न जाने कितने गम छुपे
हर बार नए किस्से मिलते
जो रूह मेरी छूने लगते
मैं जब वो आँखें पढ़ता हूँ
न जाने क्यूँ रोने लगता हूँ
लफ़्ज़ लफ़्ज़ भी पढ़ लो तुम
फिर भी जान ना पाओगे
जानोगे तुम दर्द को तब
जब ख़ुद को कभी रुलाओगे

वो सब दर्द लिखें हैं उसमें...

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22 APR 2020 AT 6:59

वो सबसे बात करता है मगर मुझसे नही करता
मोहब्बत मुझ से ना होती तो वो ऐसे नही करता

मैं हूँ उसके निगाहों में, कहीं ये देख ना लूँ मैं
यही कारन कि आँखें चार वो मुझसे नही करता

कि उसकी भी बढ़े धड़कन, थमे साँसे मिले जब हम
कहे क्या ना समझ पाये, इसी डर से नही करता

अदा ये हाय उसकी भी कसम से जान लेती है
वो करता तो है अनदेखा मगर दिल से नही करता

मोहब्बत वो बयाँ नज़रो से फिर करती रही चुपचाप
भला उसका भरोसा दिल मेरा कैसे नही करता

ये मुमकिन था कि दूजे का अभी तक हो गया होता
अगर वो मुझको पाने की दुआ रब से नही करता

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17 APR 2020 AT 12:08

बिछड़ कर उनसे अब हर शब हमारे अश्क़ बहते हैं
यही कुछ हाल उनका है कि वो भी इश्क़ करते हैं

वो मुझसे दूर रहता है, मैं उससे दूर रहता हूँ
मगर यादों के बाग़ीचे मे हम हर शाम मिलते हैं

तेरी सूरत, तेरी आँखें, तेरी चुप्पी, तेरी बातें
किताबें तो बहुत है फिर भी हम तुझको ही पढ़ते हैं

भरेंगे ही नही दिल को तो छलकेंगे भला कैसे
ग़ज़ल आपे छलक जाती जो दिल को तुझसे भरते हैं

तेरी बातों की खुशबू से महक उठते फ़ज़ा सारे
जो तेरे फूल से लब हैं, लबों से फूल जलते हैं

कहें कैसे कि कितना इश्क़ तुझसे है मेरी जाना
कि इक तेरे लिए हम अपने घर वालों से लड़ते हैं

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14 FEB 2020 AT 11:50

न जाने कब तू धड़कन बन गया
तिरे बिन जीना मुमकिन ही नही

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