समझ नही आ रहा की समझाऊ तो समझाऊ किसे?
अपने बुद्धू दिल को या फिर इस बुद्धू दिल के दिल को
दिल ये अपना माननेसे मानता नहीं और
दिल का दिल अपने इस बुद्धू दिल को जनता नहीं।
अपने इस दिलने हजारों ख्वाहिशोंको जनम दे कर
खुद ने अपने उन हातोसे दफ्न कर दिया।
जो चोटे खाई उसने खुद पे,उसपर अपने दिल ने
और मैने प्यार की ख्वाहिशोंका मलहम लगा दिया।
अपने दिल से और उस दिल को में प्यार देना चाहता हु।
उसके message का अब में हर पल रह देखता हु।
उसके सामने प्यार बया ना कर पाया
इस लिए में लिखता हु।
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