"एकं ब्रह्म द्वितीय नास्ति नेह ना नास्ति किंचन"
अर्थात एक ही ईश्वर है..
दूसरा नहीं है, नहीं है, नहीं है-
अंशभर भी नहीं है !
उस ईश्वर को छोड़कर जो अन्य की प्रार्थना,
मंत्र और पूजा करता है वह अनार्य है,
नास्तिक है या धर्म विरोधी है..✍- Swami Turiyanand राधे राधे.. हरि ॐ
12 MAR 2019 AT 2:13