मैं चुप था,
पर तुम्हारे शब्दों ने
मेरे मन की खामोशी में
अद्भुत सरसराहट भर दी!
मैंने अपनी उंगलियाँ
तुम्हारी कल्पना की
रेखाओं में डुबो दीं..
और पाया तुम्हारा हर भाव
मेरे अंतस में
पूर्व से ही कहीं उपस्थित था।
जानती हो
तुम्हारा मुझे यूँ मिलना
जैसे सूखी धरा पर
बरखा की पहली बूँद का गिरना।
प्रिय!
तुम्हारे शब्दों ने मुझे
मेरे मौन मन को
सुनना सिखा दिया है... ☺️💕-
तुम्हारे प्रेम में.. 💕
(Mukul Tiwari)
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देवाधीनं जगत सर्वे मंत्राधीना च देवता
ते मंत्रा ब्राह्मणाधीना तस्मात् ब्राह्मण देवता।
✨✨🚩 ज... read more
ते मंत्रा ब्राह्मणाधीना तस्मात् ब्राह्मण देवता।
✨✨🚩 ज... read more
Joined 28 February 2018
6 HOURS AGO
26 JUL AT 19:34
बातें सिर्फ बातों तक ही सीमित रह जाती हैं
यदि दो लोगों के मध्य प्रेम है सच में
तों उन्हें उसमें
निरंतरता रखनी पड़ेगी
प्रेम करने की भी
और प्रेम निभाने की भी!
प्रेम देने की भी
और प्रेम लौटाने की भी!!-