मैंने कभी किसी चेहरे को बदसूरत नहीं पाया...
कभी कोई बदसूरत लगा तो वो उनके दिल की वजह से..-
सच कहूं तो अब मंज़िल की चाह भी ख़त्म हो गई है..
अब ये रास्ता न जाने क्यूं मंज़िल से ज़ादा सुकून देने लगा है...
न जाने क्यूं अब मन थोड़े में ही खुश रहना चाहता है...
ऐसा लगता है कि मंज़िल पा लूंगी तो सब खाली हो जायगा... जिस सपने को पाले बैठी हूं उसके पूरा हो जाने के बाद नींद टूट जाने का डर..
जिस परछाई के पीछे भाग रही हूं वो है ही नहीं, इस भ्रम के टूट जाने का डर...
अब ये मन यहीं इस लम्हे में टिक जाना चाहता है..
जहां मैं हूं..-
जो पन्ना दिल को छू जाय उसे मोड़ देते हैं...
तुम ज़िन्दगी की किताब का वो मुड़ा हुआ पन्ना हो...-
फटा हुआ पन्ना कहां किसको समझ आता है...
किस्सा तो हर कोई पूरा सुनना चाहता है...
देख सको गर तो मेरी नज़र से देखना...
वो हंसता हुआ शख़्स कुछ गुमशुदा सा नज़र आता है...-
पहले तो रोज कहते थे कि भूल जाओ मुझे...
मगर अब जब भूल गई हूं तो
तुम मुझे मुझसे ज्यादा उदास नज़र आते हो....
जब पूछती थी कि तुम कौन हो मेरे
तो कोई नहीं कह कर बात टाल देते थे...
ज़रा आइना जाकर देखो
साफ नज़र आएगा...
तुम मुझे अब भी चाहते हो..-
जिसने टूट कर चाहा हो...
वो नफ़रत भी कहां कर पाता है...!
गलती चाहे किसी की भी हो...
मज़हब की या ज़माने की...
इल्ज़ाम आख़िर में मोहब्बत के नाम ही आता है...!
जाने वाला तो चला जाता है...
आधा दिल अपने साथ लेकर...
मगर बाक़ी का आधा दिल भी कहां जिन्दा रह पाता है...-
खामोशियां भी समझने की बात करते थे जो...
वो नज़रों को भी नज़र अंदाज़ कर गए....
मंज़िल तक साथ निभायेंगे जो कहा करते थे...
वो दो कदम चल कर ही डर गए...
अब खोए खोए से रहते हैं वो अपने ख़्वाबों की दुनियां में...
और मुझे नींद से जगा कर गुमशुदा कर गए....-
“तुम रोते हुए बिलकुल अच्छी नहीं लगती,
इन आँखों में कभी आँसू नहीं आने दूँगा”.....
ये कहने वाला एक दिन आपको आपके हाल
पे रोता हुआ ही छोड़ कर जाएगा.....-
इतना आगे आ चुकी हूँ कि...
वापस जाने की कोशिश की तो शायद खो जाऊँगी...-
जो तूफ़ानों में अकेला छोड़ जाय...
वो सर्द हवाओं से क्या बचाएगा!!!!-