सभी रंग ओढ़ कर भी "सादा" हो जाए..
हर किसी के बस में कहां...
कि प्रीत में कान्हा-मीरा हो जाए....-
“जलो वहां जहाँ जरूरत ... read more
लफ्जों को कहने का सलीका भी जरूरी है जनाब!
गुलाब अगर कायदे से ना पकड़े जाएं।
तो कांटे चुभ जाते हैं।-
मंज़िल तलक पहुँच सकूँ, हालात तो बने
मैं ढूँढता ही पर रहा, कोई साथ तो बने
बता रहा है हर कोई मुश्किल है रास्ता
करो हौसले की बात तो कुछ बात तो बने
चाँद तो दूल्हा बना बैठा है देर से
सितारो करो शिरकत ज़रा बारात तो बने
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तुम लाख छुपाओ सीने में एहसास हमारी चाहत का
दिल जब भी तुम्हारा धड़का हैं,आवाज़ यहाँ तक आई हैं।
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नजराना मेरी चाहत का लेता जा...
तू जा रहा है तो यादें भी लेता जा!
तेरे संग बीते हर लम्हे बस मेरे हैं...
उनमें जो है कसक वो लेता जा !
चांद सूरज रात दिन सब ठहरे है...
बढ़ रही है उम्र तो मेरी उम्र लेता जा!
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"मेरा इश्क भी मेरी तरह जिद्दी है"....
"तेरे चेहरे की झुर्रियां से भी खत्म ना होगा"...-
रंगों से भरा ये सफर यूंही बरकरार रहने दे..
थोडा खुद को बेकरार और मुझे तेरा तलबगार रहने दे...!!
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रंगों से भरा ये सफर यूंही बरकरार रहने दे..
थोडा खुद को बेकरार और मुझे तेरा तलबगार रहने दे...!!
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जो रौंद के रखा गया है दिल, हुज़ूर मेरा था
गलत दौर में सही की तलब फितूर मेरा था
मिले है ज़ख्म रूह को भी सजा इसने भी पाई है
मुहब्बत हो गई थी बस इतना कुसूर मेरा था
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