आज मैं बतलाउंगा
कि राम में वो क्या बात है,
राम नाम लेने जैसा सरल नहीं,
जो खुद को राम भक्त कहलाते हैं।
ये जो तुम छोटे छोटे बातों से क्रोधित हो जाते हो
और हर एक मोड़ पर झूठ बोल जाते हो
कदम कदम पर अन्याय करना
और बिन कारणवश नुकसान करना
खुद हज़ारों के साथ प्रेम का ढोंग करते हो
और राम के स्त्रीव्रत पर उंगली उठाते हो?
कल को रावण को संत मानव बनाकर
आज अयोध्या में उत्सव मना रहे हो?
क्या ऐसे बनोगे मर्यादा पुरुषोत्तम?
क्या ऐसे मानते हो अपने राम को?
अरे, राम वो है, जो बड़ों का सम्मानकरता हो
अपने से अधिक दूसरों को लेकर सोचता हो
न जाने कितने शूर्पणखा आए गए हो
पर सिया के अलावा किसी को न चाहा हो
सिता हरण होकर भी, सुग्रीव का खोया सम्मान पहले सोचा हो
और रावण वध करके भी, उनके ज्ञान को नमस्कार किया हो
इतना युद्ध, इतने संहार के बाद भी
शत्रु के शव को दिया सम्मान हो
बाली का वध जिसने छल से किया
उनको छल से भाई-वधू हरने का परिणाम सिखाया हो
खुद को लाख यकीन होकर भी,
सिया ने अग्निपरीक्षा दिया हो
एक बार नहीं, दो दो बार,
ताकि लोग समझे उनके पतिव्रता को
परंतु उस वक्त न सिया राम को किसी ने समझा
और न आज भी कोई समझ पाया हो
आज पढ़े लिखे लोग भी साधु बनकर पाप करता है
जैसे ज्ञानी रावण संत भिक्षुक होके पाप करता था
उस पापी रावण को अच्छा बनाकर
राम को दोषी बनाते हो
बोलो एसे बनोगे राम?
बोलो एसे बनोगे राम?
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