यूं तो मेरा मन बहुत चंचल है, यह किसी एक जगह स्थिर नहीं होता!पर जिस पर नजरें ठहर जाए उसे पढ़ने क़ी कोशिश करता है, फिर चाहें वह ब्यक्ति हो या किताब,अब यह ठहरा एक शब्द पर -प्रेम..? सबके लिए इसका अलग भाब,परिभाषा है! जब जब मै प्रेम की गहराई में गई तब तब मैंने यही पाया,कि किसी का हमारे प्रति जो प्रेम है! या हमारा किसी के प्रति, उस प्रेम को ब्यक्त करने के लिए प्रेम शब्द, तुच्छ है!
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