ठाकुर जी   (©ठाकुरजी)
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22 OCT 2024 AT 16:36

श्री
ग़ज़ल लिख दूँ मैं नाम पर गर तुम्हारे,
मुकम्मल मान लोगे इश्क़ को फिर तुम हमारे।


Full piece in Caption.....

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15 OCT 2024 AT 8:39

श्री
मिलन तेरा और मेरा कभी न होना था, न होना है
यही वो बात है जो तुझे ओर मुझको अब समझना है
बंधे है हम एक ऐसी डोर में
जिसे न कल समझा था, जिसे न आज जाना है
बसे है हम एक दूसरे के दिल के कोनो में,
जिसे हम कल न समझे थे, जिसे हमने आज जाना है
करीब आना तेरा मेरा, मानो रब का इशारा है,
हमें यूंही ही मिलना था, फिर जुदा भी जो होना है।
जुदाई की इस मस्त बेला से हमें फिर एक दिन गुजरना है
ये जुल्म तुझ पर भी होना था, यही मुझ पर भी होना है
ये दर्द तुझको भी सहना था, ये दर्द मुझको भी सहना है
पर सपनों में ही भले,
एक दिन किसी दूसरी दुनिया में कही दूर खोना है
और इस प्यारे से रिश्ते को हमको ही संजोना है
समझ न पाएगा रिश्ते को कोई हमारे
इस जालिम दुनिया से, हमें इसको बचाना है

क्यों न कुछ ऐसी शर्ते हम बनाए इस रिश्ते में,
खफा गर कोई हो भी जाए एक दूजे से,
खता को टांग सूली पर हमें रिश्ता निभाना है

किसी भी कारण न हमको इसे आजमाना.. है
हमें एक दूजे को हर पल ये विश्वास दिलाना है
न कभी पास आना है, न कभी दूर जाना है
मिलन तेरा और मेरा कभी न होना था, न होना है

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10 OCT 2024 AT 23:59

श्री
अगर मोहब्बत ना होती, तो दोस्ती तो रहती,
ना आज मोहब्बत है, ना दोस्ती कुछ कहती।
दिल की राहों में, अब वो चहल-पहल नहीं,
सुकून था कभी जहां, अब बस एक सफ़र है वही।
वो हंसी ठिठोली, अब बस यादों में खो गई,
कभी जो बातें थीं गहरी, वो बेमकसद सी हो गई।
ना शिकवे हैं अब, ना ही शिकायतों का दौर है,
बस ख़ामोश रिश्तों का, ये बेज़ुबान शोर है।
वो वादे, जो किए थे कभी चाँद-तारों की तरह,
बेजान होकर लगते है वो अब टूटे सितारों की तरह।
निगाहें मिल भी जाए, मगर बातों में वो बात नही,
दिल के पास भले है, पर भावनाओ में वो जज़्बात नहीं।

कभी कभी में सोचता हु.....

गर मोहब्बत ना होती, फिर दोस्ती बच जाती,
मुकम्मल मोहब्बत भी नही, कही खोई है दोस्ती।
जिन राहों पर कभी हंसते-खेलते चले थे हम,
अब वो राहें है सूनी, और हम जुदा जुदा हैं हर दम।
मोहब्बत का फ़साना तो ख़त्म भले किया पर,
दोस्ती का सफ़र फिर आबाद करने आया ।
शायद तू समझे कभी इस दिल की कहानी
दोस्ती करे फिर से, फिर करे अपनी मनमानी।
इस नए सफर में गर तू साथ है मेरे
प्यार ना सही पर हम यार है तेरे ।

सच तो ये भी है कि ....

अगर मोहब्बत ना होती, तो ये हिम्मत न होती,
फिर न मुहोब्बत रहती, न ही ये दोस्ती होती।।

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12 SEP 2024 AT 11:45

श्री
जब तन्हाई से यारी थी, जब दुनिया से किनारा था, 
हर लम्हा कुछ कहता था, पर सुनना नही गंवारा था। 

भीड़ में खो जाना से बेहतर, तन्हाई का सहारा था, 
सन्नाटों की बाहों में, मेरा सुकून बसा सारा था। 

दिल की गहराइयों में उसने, अपना घर बसाया था, 
कभी हंसाया, कभी रुलाया, हर एहसास सजाया था। 

शोर में भी जो खो जाता था, तन्हाई में फिर आता था, 
खामोशी के पर्दों में, कोई नग़मा वो गुनगुनाता था। 

वक्त ने बहुत कुछ सिखाया, पर तन्हाई की बात अलग, 
खुशियों में भी रह जाता था, मैं सबसे अलग थलग। 

अब तन्हाई से यारी थी, ना मुझको कोई खुमारी थी ।
ना खोने का था डर मुझे, ना पाने की मारा मारी थी।

मैं मस्त रहु में रहू अकेला, बस मुझको यही बीमारी थी।
अब न वो मेरा न में उसका, बस तन्हाई ही हमारी थी।

तब तन्हाई से यारी थी, अब बस तन्हाई ही हमारी थी।

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11 SEP 2024 AT 14:28

श्री
ना जाने कब आएंगे वो
जिनसे दिल की लगी है प्रीत।
बार-बार अँखियाँ पथ निहारें,
कैसे समझाऊँ दिल को मीत?

आँखें चाहे मान भी जाएँ,
पर मन को कैसे समझाऊँ?
हर घड़ी नहीं मिलते वो,
जिनको दिल की बातें बतलाऊँ।

कभी उनकी याद सताए,
तो कभी उनकी हो चाहत।
कैसी उलझन में है ये दिल,
भर आता है ये जब भी हो कोई आहट।

फिर भी दिल को समझाना है,
क्युकी मुझसे दूर है मेरे मीत।
ना जाने कब आएंगे वो,
जिनसे दिल की लगी है प्रीत।

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4 SEP 2024 AT 21:41

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2 SEP 2024 AT 6:49

श्री
मुझे गलतफहमी थी की मैं उसे याद हूं,
करती थी वो कभी वो फरियाद हूं ।।
दूर हूं उससे पर फिर भी कही पास हूं,
उसका नही हु में फिर भी उसके साथ हु।।

उसकी ख़ुशबू में घुला हल्का सा अहसास हूं,
बिन कहे ही उसकी हर बात का जवाब हूं।।
वो समझे या न समझे, ये उसकी मर्ज़ी,
मैं तो उसकी यादों में बसा हुआ एक ख़्वाब हूं।।

वो हमेशा हंसती रहे, यही मेरे दिल की चाह है,
उसकी हर मुस्कान में छिपा मेरा अहसास है।।
मुझे पता है, शायद अब कभी न मुलाकात हो,
क्युकी उसके हर दर्द का, मैं ही तो एक जवाब हु।।

जानता हु अब तो ना ही मैं उसे याद हूं,
ना मुझसे जुड़ी कोई बात उसे याद है ।।
सच तो यह है कि मैं एक गुज़री हुई बात हूं,
मुझे ही ये गलतफहमी थी की मैं उसे याद हूं,।।

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29 AUG 2024 AT 20:25

हर पल साथ हूँ तुम्हारे, छाया बन साथ चलूँ तुम्हारे,
सपनों में भी मैं संग रहूँ, तुम्हारी ख़ुशियों में रंग भरूँ।

तुम्हारी हँसी की गूँज में, मैं भी शामिल हो जाऊँ,
जब भी कोई ग़म आए, मैं तुम्हें हौसला दे पाऊँ।

तुम्हारे आँसू का हर कतरा, मेरे दिल में ठहर जाए,
दर्द की कोई सदा जब आए, मुझे पहले सुनाई दे जाए।

सुबह की पहली किरण, तुम्हारे जीवन में उजाला लाए,
और रात की आखिरी ओस की बूंद, तुम्हारी सारी थकान मिटाए।

हर पल, हर घड़ी, हर सांस, तुम्हारे साथ हूँ, ये मान लो,
जीवन की हर राह में, मुझे अपने पास ही जान लो।

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27 AUG 2024 AT 10:58

इश्क में अक्सर पाना सीखा और हासिल उसे ही करना
अरे ! प्रेम सीखो तो कान्हा से, न होकर भी राधा का होना

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22 AUG 2024 AT 22:08

तुम्हे इक बात कहनी थी
जो आज तक कभी कही नही
जो कई बार लबों पर आई
पर शब्द लेकर बाहर निकली नहीं
वैसे मुझे लगता है तुम वो जानती हो
क्युकी तुम्ही तो बस मुझे पहचानती हो
हालंकि अब सब चीजें पहले जैसी नही
तब आसान था कहना अब है मुश्किल कई
अब शायद तुम्हारे लिए मेरी बातो के मायने नही
तो कहूं या नही हर पर सोचता हु बस यही
कभी बात करना फिर से वैसे, जैसे करते थे कभी
ओर पूछना मुझसे ऐसे कि तुम्हे कुछ बात कहनी थी
शायद दिल के जज्बात फिर से होंठो पर आ जाए
शायद उन्हें शब्द मिले और वो तुम तक पहुंच जाए
वरना ना भी कह सका तो भी कोई ऐसी बात नही
क्युकी जब भी कभी गर बात हो हमारी
तो में शुरू कर पाऊंगा ऐसे कि
तुम्हे इक बात कहनी थी

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