कल थे पहलू मे आबाद मेरे
अब है गैरों की मेहफिल मे डेरे
मेरी मेहफिल मे करके अंधेरे
अपनी मेहफिल सजाये हुए है...-
Jab hum mile koi sikba na karna
Hamari aankhein aaj bhi tumhare naam se num hoti hai....-
जब कुछ न रहा दरमियां तो इसका लिहाज कैसा
जब इश्क़ हुआ किसी से इसका इलाज कैसा...-
कभी खबर आये तुम्हारे मिलने की
कभी वो शामें फिर हसी हो पहले की तरह
काश एक बार तुम मेरे सीने से लगो आके पहले की तरह...-
कुछ लफ्ज बचे है तुम्हारी तारीफ मे
तुम्हारी तारीफ के लिए हम अपने लफ्ज रुषबा नही करना चाहते ..-
वो ज़ुल्म करते गए
हम सहते गए...
वो रुषबा कर गए और हम रोते गए...-
शामें ढलती कुछ बातें हुआ करती थी
हर रोज मुलाकातें हुआ करती थी...
अब दिन तो ढल जाता है..
बस कुछ रातें गम की हुआ करती है...-
हाथों मे हाथ देकर चला गया कोई
कुछ अधूरे खाब देकर चला गया कोई...-
सर्द हवायों का फसाना फिर शुरू हुआ
इक तरफ इश्क़ फिर शुरू हुआ...
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आन देश की शान हम है देश की संतान
तीन रंगो से रंगा तिरंगा ये है हमारी पहचान....-