मायूसियां ही बची है अब जीवन में मेरे
सआदत की दूर दूर तक कोइ आहट नहीं !!
दिल ने ऐसे सम्भाल रखा है गम को अपने भीतर
की महज़ और किसी "सुरूर ए इनायत" की जरूरत नहीं !!
हमारा तो घर ही रहा भरे खारो के चमन के बीच
गुलों की जमीनों पर चलने की हमें आदत नहीं !!
अब आबाद रहो तुम अपने " तकाब्बुर ए आलम" में जाना,
के गुज़रे हुए गलियों में मुड़कर जाना हमारी फितरत नहीं !!
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ये मुश्किलों का सिलसिला भी एक दिन थम जाएगा
जद्दोजहद तुम्हारी आज की कल एक नया रंग लाएगा !!
है नहीं कुव्वत किसी में इतनी जो तुम्हारे संघर्षों की आग को बुझा सके,
आज जिन शिकस्तियो को मात दे तुम "जतन की उड़ान" हो भरने चले,
यकीन रख!! वो दिन भी दूर नहीं जब खुदा भी तुम्हारी शदीद मेहनत की जीत का जश्न मनाएगा !!
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ख्वाहिशों के समांओ में हम कुछ इस कदर मशगूल हुए,
सजाकर "ख्वाब ए जहां" को हमने आंखों में,
उसे खुद से ही कुरेद बैठे !!
किसी प्यासे बंजारों की तरह दर बदर भटकते रहे
सामने पड़े समंदर के सैलाबों को छोड़,
हम तपकती जलती रेत पर निकल पड़े !!
दुर से जिस जमीन को हम "महफूज ए बसेरे" का जहां समझे,
देखा जब जाकर पास तो पता चला,
वहां की हवाएं भी मेरे ही कब्र का कफन बना बैठे!!-
था जब वो क़ैद पिंजड़े में
तब बिचारा कुछ कर ना सका
अब जब आइ बारी आजादी की
बिचारा किस्मत का मारा,
चाहकर भी उड़ ना सका !!
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So here, after looking into so much in life, at last get to know that merely oversleeping is the medicament of any predicaments! 🤭
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मौत के कुछ मंजर को भी हमने बड़े करीब से देखा है
तब जाकर आज हमने ये जिंदगी जीना सीखा है !!
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How strange this human life is.
People constantly chase success & happiness and still they never get satisfied with that. And when they get tired off with their continual demands. Then they ultimately realize how small this life is. And they forget to enjoy the actual happiness of their life and wasted their enough time in the search of ease and materialistic beauty !!-
After making uncountable memories !
They :- It's time to say good bye !! You, take care !!
And those hidden tear's with fake smile to them :- Hmmm!! Listen, wheneve's you would feel aloneness then come again to burst my broken heart.-
लेकर " इंतकाम ए तलब " उनके फरामोशी की
हम अपने अक्श ए रुह से उन्हें उतारने निकले,
कमबख्त! टकराकर उनकी "बागी ए इश्क" दीवार की यादों से
फिरसे उन्हें अपने " दिल ए ज़हन " में बसा बैठे ।।-