Triptii Hazra   (Triptii)
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Incomprehensible
Joined 21 September 2023


Incomprehensible
Joined 21 September 2023
26 JUN AT 13:19

न किसीसे मिलने कि ख्वाइश
न किसीसे बिछड़ जाने का डर ।
न किसी वहम को तोड़ने के इरादे
न किसी रिश्ते को बचाने का फिकर।।

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8 MAY AT 1:53

"आंखें भी तरस जाते है अब यूं तुम्हे देखकर
केया बतायू ये ज़िंदगी भी एक सज़ा है तुम्हे पाने के ख्वाइश में अटककर।"

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1 MAY AT 12:24

जहां जरूरत के लिए रिश्ते बने होते हैं, और जरूरत खत्म होने से अजनबी बन जाता हैं ;
वो तो रिश्ते नहीं मुफ़दत होते हैं ।।
- तृप्ति🍁

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20 APR AT 16:44

तुम्हारे बो निगाहे,वो मुस्कान को लेकर एक शायरी लिखीं मैने ।
सोचती हु कि कभी तो तुम पड़ना चाहोगे ;
मेरी लकीरों तो देखो; तुम्हे इन शायरी में कोई दिलचस्त ही नहीं।

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16 DEC 2024 AT 16:56

किसीने कहा था जिंदगी गुलज़ार हैं
लेकिन मेरी जिंदगी गुलज़ार नहीं हर एक पल फिजूल से भरी हुई है

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10 DEC 2024 AT 18:09

आंखों में मेरी अंशु हे किय ये तो तुम पूछते हों
कभी तो मेरे दिल के अंदर झांक के तो देखो ;
हर पल तुम ही तो मुझे रुलाते हो।
न जाने कितनी बार दिल को समझाए मैंने
ओर कभी ना दुबारा सोचूंगी तुम्हें
तुम्हे कभी ना सोचूं ये सोच मैं भी तुम चले आते हो।




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7 DEC 2024 AT 21:19

कभी कभी सोचती हु की बो भी मुझे चाहते है
दिल मैं कुछ शिकायत है इसीलिए गुमराह सा है।
कभी कभी सोचती हु उनको ये दुआ तो नहीं?!
मैं उसे न चाहूं ओर वो भी मुझे नफरत करे शायद ये ही सही!
कभी कभी सोचती हु बो शायद ख्यालों में हैं;
कभी कभी सोचती हु की उनके ख्यालों मै किसी और तो नहीं?
कभी कभी सोचती हु उनको देखे बिना कितने सालों हो गए;
कभी कभी सोचती हु की इन सालों में बो मुझे भूल तो नहीं गए ?

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6 DEC 2024 AT 19:38

"Everytime my heart burns with the false hope of your love."

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5 DEC 2024 AT 22:52

লাশ থামানোর প্রতিবাদে নামছে পথে হাজার নারী
মানুষরূপী পশুর দল ধাওয়া করছে প্রতিবারই।
সুযোগ পেলেই কাটছে গলা, করছে ক্ষত দেহখানি
ওরে পাপী স্তব্ধ হ ঘরে আছে তোরও মেয়ে,তোরও স্ত্রী।
সময় সব হিসাব রাখে; ভুলিস না রে সেই সত্য
তোর সামনে পড়বে যখন তোর আপনজনের লাশ
কেমন লাগবে একবার ভেবে বলতো??!!

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5 DEC 2024 AT 22:31

মায়ের সেই মাটির প্রতিমাকে পূজা করে
ভক্তি ভরে যে করে তা নয় রে।
রাস্তার ধারের ২০ খানা মন্দিরে
৬০ বার প্রণাম ঠোঁকে তো বটে; কিন্তু তা ভয়ে।
পাপীরা সব ভাবে, প্রণাম না ঠুঁকলে পরে
পাষান মূর্তি পাপ যদি দেয় দু হাত ভরে;
মা রে তুই চেতন দে ওই সব মূর্খদের ।
ওদের গায়ে তোর অচল মূর্তি দেখে কাঁটা দেয়
কিন্তু হাত কাঁপে না নারীদেহ কেটে খান খান করতে।
দেয় না সাড়া বিবেক ওদের
নারী ও যে মা তোরই রূপ
শিশু থেকে বৃদ্ধা যায় না কেউ বাদ লালসার স্বীকার
মা তুই শাস্তি দিয়ে ওদের বুঝিয়ে দে নারীর অত্যাচারে তুইও বিরূপ।

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