अगर बातें खुल कर की मैने
तो आशिक समझ लोगे
और मिजाज जान लिया तुने
तो शातिर समझ लोगे-
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Poetry
Rewa🚩 Madhya Pradesh
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खुद को खोए जमाना हो गया
समय यूं ही बदलता गया
और फ़शाना हो गया
माँ भी कहती हैं अब
बेटा मेरा सयाना हो गया-
बंधन सारा तोड़ दिया
इज़्जत को तार तार किया
मसला तक ना जाना गया
बदनाम बार बार किया-
तेरी कामयाबी के वास्ते
कसमें तोड़ सकती हूं
तेरी तर्बियत के वास्ते
रस्में मोड़ सकती हूं
बेझिझक तेरे वास्ते
जिस्म छोड़ सकती हूं-
ना जाने क्यों याद है मुझे वो मीठी सर्दी ,
पहन रखा था उसने नीली जर्सी ।
आज भी महसूस होती उसके हाथों की गर्मी ,
जानती हूं जो हो रहा उसपे है सिर्फ़ मेरी मर्ज़ी।।-
ख़ामोश हूं
कोलाहल में भी
खुश हूं
बेदखल हो के भी ।
बेखबर बनी
किस्से जान के भी
दर-ब-दर न बन
ठिकाना पा कर भी ।।-
सब ठीक है फिर डर सा क्यों ?
सब दिखे मुझे ब्लर सा क्यों ?
बाहर से संत अंदर से खोखले
मुंह पे झूठ बोले सभी दोगले
हैं यहां ऐसा परदा क्यों ?-
खुद में उलझी सी लड़की मैं
सबके मसले आसानी से सुलझा देती हूं
हिम्मती कुछ ऐसे हुं की
बड़ी बातों में सब्र और छोटी सी बात में रो देती हूं
खुद से लाख खफा हूं मैं
लेकिन रूठे हुए को मनाना जानती हूं
जानबूझ के वजह बनाया मैंने
बस तुमको कामयाब देखना चाहती हूं
लाख मतलबी हु मै सबके लिए
रिश्ते दिल से निभाना जानती हूं
प्यार जताना नहीं आता मुझे
फिर भी तेरी बस तेरी होना चाहती हूं-
है क़िस्मत की दास्तान_ए_अजब
जिंदगी में मिले क़िरदार_ए_गज़ब
बावजूद लाख अर्चनों के
सफ़र है मुकाम_ए_तलब-
रखूं व्रत और मांगू तुझे भगवान से,
ऐसी मेरी फितरत नहीं
पढ़ ले तू मेरी क़िताब का एक एक पन्ना ।
और घर वाले कहे मुझ से,
की मेरे हमसफर से अच्छा कोई नही
परिवार और साथ तेरा हो बस यही तमन्ना।।-