कमजोरियाँ खुद तक हो,तब तक ठीक होती हैं ,
जगज़ाहिर हो जाए,तो तमाशा बनते देर नहीं लगती।।-
❤ Stay with emotions & play with situatio... read more
कुछ किस्सों का सफ़र,सिर्फ मन से दिमाग तक का होता है।
जुबां तक आने की उनकी शख़्सियत नहीं होती।।-
"जब कभी भी हम अपने अंदर की भीति सामने वाले पर निकाल रहे हाते हैं
वास्तव में भीतर कहीं , स्वयं ही द्वंद के शिकार हो रहे होते हैं।"-
एक सूखा गुलाब
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एक सूखा गुलाब
दफ़न है मेरी किताब नूमा कब्र में
जाने कितने अरसों से!
उसकी मंज़िल किसी और का होकर
उसके केशों को संवारना था ।
पर अफ़सोस रास्तों की कठिनाइयों ने
सफ़र नाकाम कर दिया।
मसलन!
आज न तो उसमे कोई खुशबू है!
न हि,कोई ताज़गी!
पर यादों के पन्नो में
उसकी महक आज भी बरक़रार है।
इसलिए ,वो आज भी
दुनिया का सबसे खूबसूरत गुलाब है।।
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तुमने कहानी चुरा ली मेरी,
मेरे हिस्से सिर्फ कुछ किस्से ही आए ।
किस्सो को मैंने संभाला बहुत,
पर किस्सों में भी बस,दर्द ही मेरे हिस्से आए।-
जूझ कर अंधेरों से,अब उजालों में खुशी चाहिए।
रहम कर खुदा, अब बस थोड़ी सी ज़िंदगी चाहिए।
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कभी-कभी मैं दिल में, उठे हर सवाल लिखती हूँ ।
सवालों को रख सामने ,फिर उनके जवाब लिखती हूँ !
लिखने को तो हैं बहुत कुछ ज़माने में,
पर अक्सर घटित जीवन के मैं मेरे,एहसास लिखती हूँ ।-
जो बीत गई वो यादें हैं!
जो बाकी हैं, उम्मीदें हैं!
जीने को तो बस,आज है!
बाकी सिर्फ,एक गहरा राज़ है ।-
कभी कभी बेवजह ही ख़ुद को, झगझोर दिया करती हूँ ।
कहीं भूल न जाऊं ज़ख्म तो नासूर किया करती हूँ ।
ऐसे तो बहुत अच्छी नहीं हूँ मैं ,
पर जब भी तड़प उठती हूँ, ख़ुद को कठोर किया करती हूँ ।
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तुम समझना
मैं आग कहूँ तुम बर्फ समझना!
कभी बिन कहे ही,दिल के दर्द समझना !
तस्वीरें न दे सकूँ जब हाल–ए–मन की
तुम मेरे आँखों में सजे अश्कों के अर्थ समझना !!
मैं मौन रहूँ तुम शब्द समझना!
कभी खामोशियों से ही दरिया-ए-दर्द समझना !
वजाहतें न दे सकूँ जब मुझमें पसरे मौन की
यूँ ही..बस कभी-कभी तुम मेरे दिल के मर्म समझना!!-