Tripti Sinha   (©Tripti sinha❤NAVODAYAN❤)
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Joined 3 July 2018


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Joined 3 July 2018
23 APR AT 9:13

दिल में इक ग़ुबार लिए फिरती हूँ l
ज़िंदगी के इतवार का,इंतज़ार लिए फिरती हूँ l
और ये वक़्त है बड़ा ज़ालिम,गुज़रता ही नहीं,
मैं थक कर फिर वही सोमवार लिए फिरती हूँ ll

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28 MAR AT 6:56

अपने स्वाभिमान को गर्त में डालकर l 
थोड़ी सी ख़ुशी की उष्मा निकालकर l 
मैंने कोशिश की थी,सब-कुछ संजोने की,
ज़िंदगी की हर एक उम्मीद हार कर l

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27 MAR AT 6:57

जब कभी किसी उधेड़बुन में फस जाओ l
कोशिश करो तुम हँस पाओ l
ज़िंदगी की ये तमाम रूकावटे तुम्हारे लिए है,
ये मलाल छोड़ बस जी पाओ ll

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7 MAR AT 11:33

मन में प्रण लिए !
प्रेम के स्वप्न लिए !
रोम-रोम रो पड़ा,
अश्रु के घुट पिए ll

विद्रोह अमर रहा नहीं!
प्रेम,शजर बना नहीं!
पल्लवित बीज को भी,
नीर ने सींचा नहीं ll

पीड़ा के प्रसंग में !
सम्मान के जंग में !
मैं अश्रु घुट पी गया ,
विद्रोह के उमंग में ll

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19 FEB AT 10:36

मैंने लिखा है तुम्हें बड़ी शिद्दत से अपने दिल-ए-दीवार में l
तुम मिले नहीं थे मुझे किसी बर-सर-ए-बाज़ार में l
बड़ी जतन से मज़लूमी की है तुमने हमारी ,
हम नासमझ ठहरे,तरस कर रह गए तुम्हारे इन्तिज़ार में l

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10 JAN AT 22:37

एक सवालिए-निशान अभी बाकी है l
कुछ अहम काम, अभी बाकी है l
मैंने बनाए हैं रास्ते कई,उन्हें संवारने के ;
पर मंज़िल तक पहुँचने में, एक सफ़र अभी बाकी है l

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26 NOV 2023 AT 9:17

शिकायत नहीं,किसी की शख़्सियत से !
मैं तो बस अपनी नाकामी लिख रहा हूँ l

अनजाने शहर में,शख़्सियत-ए कोशिश में,
न जाने कितनी बार,अपने ही हाथों मैं बिक रहा हूँ l

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3 NOV 2023 AT 0:48

बड़ी मुद्दतों बाद मैंने,कोशिश की राहें छानी है l
कुछेक शब्द दिल पी गया, कुछ तुम्हें बतानी है l
फ़लसफ़ा अब तलक फैसलों को न बदल सका शायद,
मगर फिर भी मुझे,अपनी सारी तल्ख़ी तुझे बतानी है l

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21 OCT 2023 AT 0:32

न साँझ !
न चाँद !

न दवा !
न दुआ!

कोई मेरे हित में गवाही दे नहीं सकते !

न फ़िक्र !
न ज़िक्र !

न महफ़िल !
न मजलिस !

कोई मेरी बेज़ारी धो नहीं सकते !
मैंने ख़ुद को समेटे रखा है,कल्पनाओं कि दुनिया में !
फ़िर हर्फ़ हरे भी हो, तो मुझे कुछ दे नहीं सकते l

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19 OCT 2023 AT 23:49

तक़दीर से लड़ाई थी
हरना न मुझे मंजूर,न उसे मंजूर l

महफ़ूज़ रखती रहीं हूँ ,ग़मों को अब तलक!
भूलना न मुझे मंजूर,न उसे मंजूर ll

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